Chhattisgarh: महात्मा गांधी की हत्या पर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा- 'नाथूराम अत्यंत व्यथित थे...'
Chhattisgarh News: देश में चल रहे गांधी और गोडसे विवाद पर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने रायपुर में बड़ा बयान दिया है.उन्होंने गोडसे से सहमति नहीं जताई लेकिन गोडसे की व्यथा को बहुत मार्मिक बताया है.
Chhattisgarh News: देश में एक बार फिर गांधी-गोडसे की विचारधारा को लेकर बहस छिड़ गई है. बीजेपी (BJP) के नेता गोडसे को 'सपूत' बता रहे हैं तो कांग्रेस (Congress) इसे 'भारत का अपमान' बता रही है. इसी बीच शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती (Shankaracharya Nischalanand Saraswati) ने इस मामले में बड़ा बयान दिया है. उन्होंने गोडसे से सहमति असहमति को नकारा लेकिन शंकराचार्य ने गोडसे की व्यथा-वेदना बताने की कोशिश की है और गोडसे के वक्तव्य को मार्मिक बताया है.
शंकराचार्य ने कहा- नाथूराम गोडसे अत्यंत व्यथित थे
दरअसल, पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती शनिवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक प्रेस कांफ्रेंस की है. इसमें उन्होंने देश में चल रहे गांधी और गोडसे विवाद पर अपना पक्ष रखा है. उन्होंने मीडिया से कहा कि कोई भी बोलता है तो कोई सहमत होता कोई असहमत होते है. भगवान राम ही वक्ता क्यों न हो सबलोग सहमत नहीं हो पाते है. लेकिन मैंने आपको कहा कि 70 पृष्ठ का पुस्तक है. गोडसे जी ने जो वक्तव्य दिया बहुत मार्मिक. यानी उन्होंने खुद स्वीकार किया मैं अपनी मौत को स्वीकार कर के ही गांधी जी को मारने जा रहा हूं.
क्या वेदना थी उसको समझिए. गोडसे के विचार से मुझे सहमत- असहमत मत मानिए. उनकी पुस्तक को पढ़िए जो प्रतिबंधित है. किसी पुस्तकालय में हो तो पढ़िए. आपका हृदय स्वीकार करेगा नाथूराम अत्यंत व्यथित थे. उस समय चाल चलन भारत को जिस स्वरूप में क्रियान्वित करने का प्रयास चल रहा था.
गांधी की हत्या से पहले गोडसे ने मान लिया था मै मारा ही जाऊंगा
इसके आगे शंकराचार्य ने कहा कि गोडसे ने फांसी की सजा से पहले बताया था कि जिस समय मैंने गांधी को मारने का विचार किया उस समय मैंने मान लिया की मैं मारा ही जाऊंगा फांसी की सजा मिलेगी. लेकिन मैंने इस लिए मारा कि उस व्यक्ति की कूटनीति चल जाती अधिक समय तक जीवित रहते तो भारत का न अस्तित्व सिद्ध और न ही आदर्श. शंकराचार्य ने इस दौरान ये भी कहा कि गांधी जी की हत्या गोडसे ने की है. लेकिन जो उनका वक्तव्य है. उससे जुड़ी पुस्तक मेरे पास वृंदावन में है. उस पुस्तक को पढ़ने के बाद आपका हृदय स्वीकार करेगा, नाथुराम गोडसे अत्यंत व्यथित थे.
हिंदू राष्ट्र और संविधान पर शंकराचार्य का बड़ा बयान
इसके आगे शंकराचार्य ने हिंदू राष्ट्र और संविधान पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जिनको भारत के संविधान बनाने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने संविधान की क्या समीक्षा की थी? बता सकते है क्या?समझ गए आप नाम तो जानते ही होंगे. उन्होंने संसद में क्या टिप्पणी की थी?रोंगटे खड़े हो जाएंगे. वही संतुष्ट नहीं था. इस गंभीर मामले पर बयान देते वक्त शंकराचार्य ने ये भी कहा कि हम प्रधानमंत्री और संविधान को देखकर नहीं बोलते है. हम ये कहते है कि सबके पूर्वज सनातनी काल में हिंदू थे. इस बात का किसी को असहमति हो तो बतावें. सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित संपन्न और सेवा हिंदू राष्ट्र का स्वरूप है. मैं किसी पार्टी का नहीं हूं. मुझे फंसाने का प्रयास मत करिए. प्रधानमंत्री मेरे पास आते है यहां के मुख्यमंत्री मेरे पास आते हैं.
BJP के मंत्री गिरीराज सिंह ने गोडसे को सपूत बताया
गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने दंतेवाड़ा में महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे को सपूत कहा है. उन्होंने मीडिया से कहा कि अगर गांधी के हत्यारे हैं तो गोडसे भारत के सपूत भी है. वह भारत में ही पैदा हुए, औरंगजेब और बाबर की तरह आक्रांता नहीं है और जिसकी बाबर की औलाद कहलाने में खुशी महसूस होती है वो कम से कम भारत माता का सही सपूत नहीं हो सकता.
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