Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में चोरी का एक अनोखा मामला सामने आया है. गरियाबंद जिले में आदिवासी बालक-बालिका आश्रम शाला बड़ेगोबरा भवन चोरी हुआ है और इतना ही नहीं यह भवन 10 साल से नहीं मिल रहा है. इस भवन की चोरी को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 10 साल से इस भवन का कोई अता पता नहीं चला है. इस लिए ग्रामीणों ने मैनपुर थाने में थाना प्रभारी को इस भवन के चोरी शिकायत की है.
दरअसल मामला जिले के आदिवासी बालक- बालिका आश्रम शाला बड़ेगोबरा का है जहां साल 2012-13 से हॉस्टल भवन गायब है. इसकी खोज खबर करते करते 10 साल बीत गए लेकिन अब तक आदिवासी बालक-बालिका आश्रम नहीं मिला है. यह आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र का मामला है, जिसे लेकर तहसील मुख्यालय मैनपुर से 22 किमी दूर बिहड़ जंगल में बसे आदिवासी कमार जनजाति ग्राम पंचायत गोबरा के सरपंच रामस्वरूप मरकाम और पूर्व सरपंच रेखा ध्रुव के नेतृत्व में सैकड़ो की संख्या में आदिवासियों ने थाने में शिकायत की है.
यह है पूरा मामला
बात दें कि तहसील मुख्यालय मैनपुर से 22 किमी दूर दूरस्थ वनांचल में बसे ग्राम पंचायत गोबरा में शासन द्वारा विशेष पिछड़ी कमार जनजाति के बच्चो को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए 1989 में आदिवासी बालक आश्रम शुरू किया गया था. इस आदिवासी बालक आश्रम में 100 बच्चे पढ़ते थे और वर्ष 2010-11 में जब बड़ेगोबरा आश्रम भवन निर्माण के लिए लाखों रुपये की राशि जारी हुई तो आश्रम भवन को बड़ेगोबरा के बजाय दूसरी अलग पंचायत में भेजा. यहां से लगभग 10 किमी दूर ग्राम पंचायत भाठीगढ़ में पहाड़ी के नीचे इसके भवन का निर्माण कर दिया गया.
जब आश्रम भवन गोबरा के लिए लाखों रुपये की राशि के साथ स्वीकृत हुआ तो उस समय किसी अफसर के कहने से इस आश्रम भवन का भाठीगढ़ में निर्माण किया गया. अब तक इसकी जांच नहीं की गई और ग्राम बडे गोबरा के ग्रामीणों के कहना है कि साल 2012-13 में रातों-रात बगैर किसी को बताए इस आश्रम के पूरे मेटेरियल को भाठीगढ़ में लाकर ट्रांसफर कर दिया गया. ग्रामीणो ने थाने में शिकायत देते हुए कहा कि कहा कि हम ग्रामीण अपने स्कूली बच्चों को कहां पढ़ाई करने भेजे. इस मामले में मैनपुर थाना प्रभारी सूर्यकांत भारद्वाज ने बताया कि ग्राम पंचायत बड़ेगोबरा वासियो द्वारा एक लिखित आवेदन मिला है जिसमें आदिवासी बालक बालिका आश्रम शाला बड़े गोबरा चोरी होने की शिकायत की गई है.