Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना से गांव के किसान, पशु पालकों को फायदा मिल रहा है. इस योजना के शुरू होने के बाद सरकार इस बात का हमेशा से दावा करते आई है कि किसानों को इसका बंपर लाभ मिल रहा है. सरकार के इन दावों के बीच कुछ घटनाएं ऐसी भी हुई, जो इस योजना के सफल होने की ओर इशारा करती है. तो यही घटनाएं अपराध को बढ़ावा देने वाली साबित हुई है. ऐसे कुछ मामले प्रदेश के कुछ जिलों में आए हैं. जो सिलसिलेवार हैं- 


कोरिया में बाड़े से गोबर गायब


छत्तीसगढ़ में पहला गोबर चोरी का मामला अगस्त (2020) में कोरिया जिले से सामने आया था. यहां मनेंद्रगढ़ ब्लॉक अंतर्गत रोझी पंचायत में फूलमती और रिचबुदिया के बाड़े में रखा लगभग 100 किलो गोबर किसी अज्ञात चोर ने गायब कर दिया. इसकी जानकारी दोनों महिलाओं ने गौठान समिति के अध्यक्ष को दी. इसके बाद गौठान समिति ने चोर को पकड़े जाने के लिए स्थानीय थाने में आवेदन दिया था.


हालांकि, बाद में जिनके घर से गोबर चोरी हुआ था उनका बयान बदल गया. उन्होंने कहा कि- घर लिपने के लिए कोई बिना बताए गोबर ले गया था, बाद में उन्होंने बताया. हालांकि, इस बयान के बाद गोबर चोरी के मामले का पटाक्षेप हो गया. लेकिन बाद में ये चर्चा शुरू हो गई थी कि उन्हें ऐसा बोलने के लिए दबाव बनाया गया था, ताकि सरकार की छवि खराब न हो, क्योंकि चोरी अपराधिक घटना है और सरकार के योजना की वजह से चोरी जैसी घटनाओं को बढ़ावा मिले, ऐसा कोई सरकार नहीं चाहेगी.


कोरबा में 800 किलो गोबर चोरी


इसके बाद कोरबा जिले के दीपका थाना इलाके में गोबर चोरी की दूसरी घटना सामने आई. यहां जून (2021) में धुरेना गांव से 800 किलो गाय का गोबर चोरी हो गया. चोरी हुए गोबर की कीमत 1600 रुपए करीब थी. इस मामले की शिकायत पुलिस में की गई. तब पुलिस ने अज्ञात चोरी के खिलाफ अपराध दर्ज किया है. बता दें कि कोरबा से पहले प्रदेश के सरगुजा और दुर्ग जिले में भी गोबर चोरी होने का मामला सामने आ चुका है. हालांकि वहां पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया था.


दो रुपये किलो खरीदा जाता है गोबर


दरअसल, छत्तीसगढ़ देश का ऐसा राज्य है जहां गोधन न्याय योजना के तहत गाय का गोबर दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा जाता है. राज्य की भूपेश बघेल की सरकार ने जुलाई 2020 में इस योजना की शुरूआत की थी. जिसके तहत गांव वालों से गाय का गोबर 2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा जाता है. इस योजना ने खूब सुर्खियां बंटोरी थी और इसका सीधा फायदा गांव में रहने वाले पशुपालकों को मिल रहा है. खरीदे गए गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाया जाता है, जिससे किसानों को कम दाम पर जैविक खाद उपलब्ध कराई जा रही है.