Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) को धान का कटोरा कहा जाता है. राज्य में अधिकांश किसान धान (Paddy) की खेती पर ही निर्भर रहते हैं. पानी की कमी नहीं होने के कारण ज्यादातर किसान खरीफ (Kharif) और रबी (Rabi) फसल में धान की फसल लेते हैं लेकिन एमएसपी पर केवल खरीफ फसल ही खरीदी की जाती है. उसमें भी प्रति एकड़ में 15 क्विंटल की खरीदी होती है. इसके कारण किसानों का पास भारी मात्रा में धान स्टॉक रहता है. जिसे किसान खुली मंडी या बाजारों में बेचते हैं जिनकी एमएसपी (MSP) के आसपास ही यानी 2 हजार रुपए प्रति क्विंटल में बिक्री हो जाती है.
इस धान को बड़े-बड़े व्यापारी और राइस मिलर्स खरीदते हैं लेकिन अब गैर बासमती राइस को एक्सपोर्ट करने पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगाया है तो इसका असर किसानों पर पड़ने वाला है. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकार राज्य में बासमती धान केवल 6 प्रतिशत उत्पादन होता है. लेकिन भारी मात्रा में गैर बासमती राइस का उत्पादन होता है. 2022 -23 खरीफ फसल की बात करें तो छत्तीसगढ़ में 107 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई है.इससे 65 लाख मीट्रिक टन चावल बनता है और 15 से 20 लाख टन चावल एक्सपोर्ट होता है. इसके साथ एक अनुमान के मुताबिक किसान प्रति एकड़ में 20 से 25 क्विंटल का उत्पादन कर लेते हैं और केवल सरकारी मंडी में 15 क्विंटल की खरीदी होती है तो 5 से 10 क्विंटल धान किसानों के पास बच जाता है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है.
छत्तीसगढ़ में 10 लाख टन चावल फंस गया
आपको ये भी बता दें कि राज्य में 24 लाख से अधिक पंजीकृत किसान हैं जो सरकारी मंडी में धान बेचते हैं. देश में चावल उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ देश में सातवें नंबर पर आता है. रायपुर के किसान पारसनाथ साहू के पास 40 एकड़ जमीन है. जहां वो खेती किसानी करते हैं. उन्होंने कहा कि पूरे देश के किसानों आर्थिक संकट में डाल दिया है. जबकि किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे है उसको नहीं दिया जा रहा है. गैर बासमती चावल के निर्यात से किसानों को एक अच्छा कीमत मिलने लगा था. अब उन्हें नुकसान हो रहा है. छत्तीसगढ़ में लगभग 10 लाख टन चावल फंस गई है. ये चावल किसानों के पास हैं इसे अब कौन खरीदेगा. इससे किसानों को घाटा होगा. निर्यात जारी रहने से किसानों को प्रति क्विंटल 2 हजार रुपए के आस पास धान का दाम मिलता था.
खोले बाजार में धान के दाम 200 रुपए तक प्राभावित
वहीं गरियाबंद के किसान नेता तेजराम विद्रोही ने कहा कि निर्यात रोकने से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. खुली मंडियों में जबतक निर्यात जारी थी तब तक एमएसपी के आसपास ही किसानों के धान की खुली मंडी में बिक्री हो रही थी.अब छत्तीसगढ़ किसानों को प्रति क्विंटल में 200 रुपए तक नुकसान उठाना पड़ रहा है. केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि सालभर में धान की फसलों को एमएसपी पर खरीदें या निर्यात पर लगाया प्रतिबंध वापस लें.
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