Hanuman Temple In Chhattisgarh: राम भक्त हनुमान बाल ब्रह्मचारी के रूप में पूजे जाते हैं. आज देशभर में हनुमान जयंती धूमधाम से मनाया जा रहा है. हर चौक चौराहे पर बजरंगबली के जयकारे गूंज रहे हैं. लेकिन आज हम हनुमान जी की ऐसे मंदिर का दर्शन कराएंगे जिसे देखकर आप हैरान हो जाएंगे. क्योंकि पहली बार आपको नारी रूप में बजरंग के दर्शन होंगे. आखिर ब्रह्मचारी बजरंग बली का नारी स्वरूप मूर्ति क्यों बनाई गई है? इसके पीछे क्या पौराणिक कथा है ये भी आपको आज बताते हैं.


नारी स्वरूप में बजरंग बली की मूर्ति


दरअसल नारी स्वरूप में बजरंग बली का मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में है. जहां पुरुष की जगह नारी स्वरूप में हनुमान जी के दर्शन होते है. ये वही जगह है जहां मां महामाया का ऐतिहासिक मंदिर है. बजरंग बली के दर्शन के लिए बिलासपुर जिले से 25 किलोमीटर दूर रतनपुर के गिरजावन जाना होगा. जहां बजरंग बली का सबसे अनूठा मंदिर है. इसे श्रद्धालु मानते हैं कि ये विश्व का एकमात्र मंदिर है जहां ब्रह्मचारी हनुमान जी का नारी स्वरूप में दर्शन होता है.


बिना पूंछ वाले हनुमान जी की मूर्ति की अनोखी कहानी


रतनपुर में अर्धनारेश्वर हनुमान जी की आकर्षक प्रतिमा देखने के लिए रोजाना दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं. चलिए आपको चंचल चतरू भक्ति की परिभाषा देने वाले हनुमान जी प्रतिमा के बारे में बताते हैं. इस प्रतिमा में बजरंगबली का वेशभूषा देवी जैसे है. एक हाथ में मोदक है. दूसरे में राम मुद्रा अंकित है. कर्ण में भव्य कुंडल है. माथे पर सुंदर मुकुट और माला.


पहली मूर्ति जिसमे हनुमान जी की पूछ नहीं है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि हनुमान जी प्रतिमा में सीधे हाथ की तरफ पुरुष रूप में है इस लिए पुरुष रूप में पूजा जाता है. लेकिन मूर्ति के बाएं हाथ की तरफ हनुमान जी के गले में देवी की माला, कलाई में देवी का चूड़ा, पैरों में भी चूड़ा है और हनुमान को देवी की मुद्रा में है. इसके अलावा पैरों के नीचे अहिरावण को दबाए रखे हैं और दोनों कंधे में राम और लक्ष्मण को बैठाए हुए हैं.


नारी स्वरूप में बजरंग बली की मूर्ति की क्या है कहानी?


ब्रह्मचारी हनुमान जी आखिर नारी स्वरूप में क्यों है ? इस रहस्य का पर्दा मंदिर के पुजारियों ने प्राचीन किदवंतियों को आधार बनाते हुए बताया किराम रावण युद्ध के समय जब श्रीराम और लक्ष्मण से रहे थे, तब छल से पटल लोक का नरेश अहिरावण उन्हें उठाकर पाताल लोक ले गया. अहिरावण अपनी कामदा देवी के सामने राम लक्ष्मण का बाली चढ़ाने वाला था. हनुमान जी राम लक्ष्मण को ढूंढते हुए पाताल लोक पहुंचे और कामदा देवी की मूर्ति में प्रवेश कर गए. जैसे अहि रावण बली चढ़ाने देवी के चरणों में झुका वैसे ही हनुमान जी ने कामदा देवी के स्वरूप में आविरावण को अपने बाएं पैर से दबाकर उसका वध कर दिया. इसके बाद राम लक्ष्मण को अपने दोनों कंधों में बिठा लिए.
 
 राजा को सपने में मिला बजरंग बली के मूर्ति का पता


इस मूर्ति का प्रचलन में आने की कहानी भी अनोखी है.  मंदिर के पुजारी ने बताया कि एक प्राचीन कथा है. इसके अनुसार लगभग हजार साल पहले राजा पृथ्वी देव को कोढ़ का बीमारी हो था. कोढ़ की बीमारी से राजा लाचार हो गए थे. इसके बाद उन्हें एक रात स्वप्न आया जिसमे हनुमान जी की मूर्ति तालाब में होने की जानकारी लगी है. इसके बाद राजा ने महामाया कुंड में जाकर प्रतिमा की खोज की तो एक नारी स्वरूप में बजरंगबली की मूर्ति मिली. इसके बाद इस मूर्ति की स्थापना गिरजावान में किया गया और मंदिर के पीछे भाग में एक तालाब खुदवाया गया. मान्यता के अनुसार इस तालाब में स्नान करने के बाद लोगों के कोढ़ का नाश होता है.


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