Hareli 2022: छत्तीसगढ़ में 'हरेली तिहार' त्योहार की धूमधाम से मनाएगी बघेल सरकार, गौठानों में किए जाएंगे ये-ये कार्यक्रम
Hareli 2022: छत्तीसगढ़ की आबादी खेती किसानी पर निर्भर रहती है. खेती किसानी की शुरुआत के साथ हरेली तिहार मानने की परंपरा है. इस साल 28 जुलाई को छत्तीसगढ़ में हरेली त्योहार मनाया जाएगा.
Hareli 2022: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में पारंपरिक हरेली तिहार (Hareli Tihar) त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल भी हरेली त्योहार के दिन कई तरह के आयोजन किया जाने हैं. राज्य के गौठनों को सजाया जा रहा है. हरेली के दिन गौठानों में छत्तीसगढ़ी खेल गेड़ी दौड़, फुगड़ी ,भौंरा और रस्साकशी का आयोजन किया जाएगा. साथ ही गौठानों में छत्तीसगढ़ी व्यंजन की भी पूरी व्यवस्था होगी. इसके लिए गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक ने सभी कलेक्टरों और संभागायुक्तों को पत्र लिखा है.
दरअसल छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां की आबादी खेती किसानी पर निर्भर रहती है. खेती किसानी की शुरुआत के साथ हरेली तिहार मानने की परंपरा है. इस साल 28 जुलाई को छत्तीसगढ़ में हरेली त्योहार मनाया जाएगा. इसके पीछे राज्य सरकार की मंशा छत्तीसगढ़ के लोगों को अपनी परंपरा और संस्कृति से जोड़ना है, ताकि लोग छत्तीसगढ़ की समृद्ध कला-संस्कृति, तीज-त्योहार और परंपराओं पर गर्व महसूस कर सकें.
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छत्तीसगढ़ की पारंपरिक व्यंजन बनाने की भी होगी प्रतियोगिता
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशा के अनुसार कृषि विभाग गौठान में हरेली तिहार के आयोजना की तैयारी में जुट गया है. इस त्योहार में बड़ी संख्या में ग्रामीण हिस्सा लेंगे. इसके लिए गौठानों में गेड़ी दौड़, कुर्सी दौड़, फुगड़ी, रस्साकशी, भौंरा, नारियल फेंक जैसे प्रतियोगिताएं कराई जाएंगी. इसके अलावा छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजन बनाने की भी स्पर्धाएं होंगी. इसमें राज्य की प्रमुख व्यंजन चीला, बड़ा, सोहारी, गुलगुला भजिया बनाई जाएगी.
पशु रोका-छेका अभियान को लेकर भी होगी चर्चा
गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. अय्याज तम्बोली ने सभी कलेक्टरों और संभागायुक्तों को पत्र लिखकर गौठानों में पारंपरिक कार्यक्रम के साथ ही गौठान प्रबंधन समिति, स्व-सहायता समूह, ग्रामीण जनप्रतिनिधियों से हरेली तिहार के दिन गौठानों में कार्यक्रमों के आयोजन की रूपरेखा के संबंध में चर्चा करने को कहा है. हरेली तिहार के दिन गौठानों में पशुओं के स्वास्थ्य परीक्षण और टीकाकरण के लिए विशेष कैंप का भी आयोजन किया जाएगा. गौठानों में पशुओं को नियमित रूप से भेजने, खुले में चराई पर रोक लगाने और पशु रोका-छेका अभियान में सभी ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी को लेकर भी चर्चा की जाएगी.