Hareli Festival: सीएम भूपेश बघेल ने दी हरेली पर्व की बधाई, जानिए क्यों मनाया जाता है यह त्योहार, क्या है मान्यताएं?
Chhattisgarh News: किसान लोक पर्व हरेली पर खेती-किसानी में काम आने वाले उपकरण और बैलों की पूजा की जाती है. इस दौरान सभी घरों में पकवान भी बनाए जाते हैं.
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Hareli Festival Of Chhattisgarh: हरेली पर्व सही मायने में किसानों का त्यौहार माना जाता है. इस दिन किसान खेती में इस्तेमाल होने वाले हल, बैल, और तरह-तरह के औजारों की पूजा करते हैं. हरेली छत्तीसगढ़ का त्यौहार है. यहां के किसान परिवार के साथ बड़ी धूमधाम से इस पर्व मनाते हैं. वहीं कहीं-कहीं मुर्गे और बकरे की बलि देने की भी परम्परा है. इसके साथ भैस और बैलों को नमक और बगरंडा की पत्ती भी खिलाई जाती है ताकि वह बीमारी से बचे रहें.
किसान खेती के औजारों की करते हैं पूजा
किसान लोक पर्व हरेली पर खेती-किसानी में काम आने वाले उपकरण और बैलों की पूजा करते हैं. इस दौरान सभी घरों में पकवान भी बनाए जाते हैं. इस दिन कई लोग अपने कुलदेवता की भी पूजा परंपरा अनुसार करते हैं. हरेली पर किसान नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ-सफाई कर उन्हें एक स्थान पर रखकर इसकी पूजा-अर्चना करते हैं. इस अवसर पर सभी घरों में गुड़ का चीला बनाया जाता है.
गांवों में सुबह से उत्सव का माहौल रहता है
ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह से शाम तक उत्सव जैसी धूम रहती है. इस दिन बैल, भैंस और गाय को बीमारी से बचाने के लिए बगरंडा और नमक खिलाने की परंपरा है. लिहाजा, गांव में यादव समाज के लोग सुबह से ही सभी घरों में जाकर गाय, बैल और भैंसों को नमक और बगरंडा की पत्ती खिलाते हैं. इस दिन यादव समाज के लोगों को भी स्वेच्छा से दाल, चावल, सब्जी और अन्य उपहार दिए जाते हैं.
गांव में कई तरह के प्रतियोगिता होती है
हरेली पर्व में गांव और शहरों में नारियल फेंक प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है. सुबह पूजा-अर्चना के बाद गांव के चौक-चौराहों पर युवाओं की टोली जुटती है और नारियल फेंक प्रतियोगिता खेली जाती है. नारियल हारने और जीतने का यह सिलसिला देर रात तक चलता है. इसी तरह नारियल जीत की धूम शहरों में भी होती है.
घरों के बाहर नीम के पत्ते लगाए जाते हैं
यह भी माना जाता है कि श्रावण कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी हरेली के दिन से तंत्र विद्या की शिक्षा देने की शुरुआत की जाती है. इसी दिन से प्रदेश में लोकहित की दृष्टि से जिज्ञासु शिष्यों को पीलिया, विष उतारने, नजर से बचाने, महामारी और बाहरी हवा से बचाने समेत कई तरह की समस्याओं से बचाने के लिए मंत्र सिखाया जाता है. हरेली के दिन गांव-गांव में लोहारों की पूछ परख बढ़ जाती है. इस दिन लोहार हर घर के मुख्य द्वार पर नीम की पत्ती लगाकर और चौखट में कील ठोंककर आशीर्वाद देते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से उस घर में रहने वालों की अनिष्ट से रक्षा होती है. इसके बदले में किसान उन्हें दान स्वरूप स्वेच्छा से दाल, चावल, सब्जी और नगद राशि देते हैं.
इस दिन गेड़ी पर लोग चलते हैं
हरेली में जहां किसान कृषि उपकरणों की पूजा कर पकवानों का आनंद लेते हैं. वहीं युवा और बच्चे गेड़ी चढ़ने का मजा लेते है. लिहाजा सुबह से ही घरों में गेड़ी बनाने का काम शुरू हो जाता है. ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो इस दिन 20 से 25 फीट ऊंची गेड़ी बनवाते हैं.
सीएम भूपेश बघेल ने बधाई दी
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले साल हरेली पर्व के दिन ही छत्तीसगढ़ में सरकारी छुट्टी का ऐलान किया था. साथ ही हरेली पर्व के दिन से ही छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वकांक्षी योजना गौधन न्याय योजना की शुरुआत की थी. आज फिर हरेली पर्व पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने विधानसभा क्षेत्र पाटन से गोमूत्र खरीदी योजना की शुरुआत करेंगे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हरेली पर्व पर प्रदेश के सभी लोगों को शुभकामनाएं और बधाई भी दी है.
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