Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में एशिया की सबसे बड़ी ईमली मंडी है. यहां की ईमली भारत के साथ-साथ विदेशों में भी निर्यात की जाती है और हर साल इसकी बड़ी डिमांड रहती है. वहीं बस्तर की इमली के साथ  ही यहां के अमचूर के भी लोग दीवाने हैं. खासकर उत्तर भारत और विदेशों  में बस्तर के अमचूर की भारी डिमांड रहती है ,लेकिन इस साल बस्तर में हुई बेमौसम बारिश और अंधड़ ने देसी आम की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. जिसके चलते अमचूर के व्यापार को भी काफी नुकसान हुआ है. 


साथ ही व्यापारियों का कहना है कि अमचूर के व्यापार में 40% का नुकसान हुआ है, इस वजह से अमचूर के दाम भी इस साल बढ़ा दिए गए हैं. खासकर बस्तर संभाग के सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर छिन्दगढ़ और नकुलनार क्षेत्र के देसी आम से बने अमचूर की सबसे ज्यादा डिमांड रहती है. लेकिन इन इलाकों में भी बेमौसम बारिश ने मचाई  तबाही से आम की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है,जिससे अमचूर का व्यापार इस साल काफी प्रभावित हुआ है और व्यापारियों को भी भारी नुकसान हुआ है.


देश विदेशों के बाजारों में है अच्छी मांग
दरअसल, छत्तीसगढ़ के बस्तर में सबसे ज्यादा अलग अलग प्रजाति के देसी आम की फसल पाए जाते हैं. गर्मी के मौसम में देसी आम की सबसे ज्यादा डिमांड होती है और व्यापारियों को भी इसकी फसल का इंतजार रहता है, लेकिन इस साल बेमौसम बारिश से देसी आम की फसल चौपट होने से बस्तर का खास अमचूर का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है. जानकारी के मुताबिक सालाना करोड़ों रुपए अमचूर बस्तर के ग्रामीण अंचलों से ग्रामीणों के जरिए देश और  विदेशों के बाजारों तक पहुंचता है.


हालांकि, गर्मियों के मौसम में सालों पहले  लगाए गए बस्तर के देसी आम अपनी अलग पहचान रखते हैं, लेकिन अंधड़ और बारिश की वजह से इस बार फसल को खासा नुकसान पहुंचा है. अमचूर मंडी के  व्यापारियों ने बताया कि बस्तर का देसी आम अब भी मसालों की खास पसंद है, देसी आम से बनाया गया अमचूर का ज़ायका मसालों की खासियत को और बढ़ा देता है. यही वजह है कि राष्ट्रीय स्तर पर कई बड़ी मसाले कंपनियां बस्तर के व्यापारियों से अमचूर खरीदी करती है.


अमचूर के व्यापार में 40% तक हुआ नुकसान
बस्तर में आज भी प्राकृतिक तौर पर देसी आम के पेड़ों की संख्या बहुतायत में है. ग्रामीण सालों से गर्मी के मौसम में इन देसी आम से अमचूर बनाकर उन्हें बाजारो में बेचते हैं ,व्यापारी  5 हजार प्रति क्विंटल की दर से अमचूर खरीदते हैं और बाजार में इसे 300 से साढ़े 300 रुपये प्रति किलो तक बेचते  है. जगदलपुर मंडी से यह अमचूर विदेशी बाजारों तक भी पहुंचता है, बस्तर संभाग के बीजापुर, सुकमा कांकेर से लेकर बीजापुर जिले तक के देसी आम से तैयार होने वाली अमचूर से हर साल  करोड़ों रुपए का कारोबार होता है.


लेकिन बेमौसम बारिश और अंधड़ ने इस बार आम की फसल को प्रभावित किया है, इसके चलते अमचूर के दाम भी बढ़ गए हैं. व्यापारियों का कहना है कि इस साल अमचूर के व्यापार में 30 से 40% का नुकसान हुआ है. हर साल 50 हजार  से 60 हजार क्विंटल का व्यापार होता  है लेकिन इस साल अब तक  केवल 10 से 15 हजार क्विंटल ही अमचूर का व्यापार हो पाया है ,जिससे व्यापारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.


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