Hema Sardesai In Bastar: बॉलीवुड फिल्मों की मशहूर सिंगर हेमा सरदेसाई इन दिनों छत्तीसगढ़ के बस्तर पहुंची हुई हैं और यहां बस्तर के विभिन्न पर्यटन स्थलों से लेकर बस्तर के आदिवासी समुदाय से जुड़ी परंपराओं और रीति-रिवाजों को देख रही है, दरअसल हेमा सरदेसाई छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में 12 साल में एक बार आयोजित मंडई मेले में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में परफॉर्मेंस देने के यहां पहुंची हुई थीं और यहां रंगारंग प्रस्तुति देने के बाद सिंगर  हेमा सरदेसाई ने मंगलवार को जगदलपुर में स्थानीय मीडिया से मुलाकात की.


हेमा सरदेसाई ने कहा कि यहां आने के बाद आदिवासियों के बीच उन्हें काफी अच्छा लगा और उनके स्वागत में एक आदिवासी बुजुर्ग महिला ने गीत भी गाया. उन्होंने कहा कि बस्तर की परंपरा रीति रिवाज देश के अन्य हिस्सों से सबसे अलग है और यहां के लोग भी काफी अच्छे हैं, वहीं इस दौरान उन्होंने बस्तर में नक्सलवाद और धर्मांतरण को लेकर अपने विचार रखे.



उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर बस्तर से नक्सलवाद खत्म करने के लिए वे भी अपना योगदान देने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा बस्तर में शांति स्थापित होना बेहद जरूरी है. इसके लिए जरूरत पड़ने पर बातचीत कर इस समस्या का हल निकाला जाना चाहिए. वहीं उन्होंने धर्मांतरण को लेकर कहा कि जो लोग बस्तर के आदिवासी इलाकों में धर्मांतरण को बढ़ावा दे रहे हैं वो लोग बाइबल को नहीं मानते, बाइबिल में स्पष्ट तौर पर धर्मांतरण को सही नहीं माना गया है, इसलिए लोगों का धर्मांतरण किया जाना गलत है.


बातचीत से नक्सलवाद को खत्म करना चाहिए


 गोवा की रहने वाली हेमा सरदेसाई एक भारतीय पार्श्व गायक और गीतकार हैं हेमा सरदेसाई ने बॉलीवुड के 50 से भी अधिक फिल्मों के एक से बढ़कर एक गीत गाए हैं. 90 की दशक में हेमा सरदेसाई काफी प्रसिद्ध हुई,  पहली बार बस्तर पहुंची हेमा सरदेसाई ने यहां के पर्यटन स्थलों की खूबसूरती देख इसकी जमकर तारीफ की उन्होंने कहा कि यहां बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग होने की पूरी संभावना है.


बस्तर में नेचुरल ब्यूटी देखने को मिल रही है उन्होंने यहां के लोगों की भी तारीफ करते हुए कहा कि सुकमा के कार्यक्रम में स्टेज परफॉर्मेंस के दौरान सुकमा के पुलिस ऑफिसर ने भी उनके साथ गीत गाया. उन्हें काफी अच्छा लगा. इसके अलावा बस्तर के राजकुमार कमलचंद भंजदेव के साथ बस्तक की परंपरा रीति रिवाज को देखने और समझने का मौका मिला.


आदिवासी अंचलों में घूमने के दौरान एक बुजुर्ग आदिवासी महिला ने स्थानीय बोली में गीत गाकर उनका स्वागत किया, जो उनके लिए हमेशा यादगार रहेगा ,उन्होंने कहा कि नक्सलवाद की वजह से बस्तर की छवि जरूर दूसरे देशों में धूमिल हुई है लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं है अगर बस्तर से नक्सलवाद खत्म हो जाता है तो और भी लोग बस्तर घूमने आने के साथ यहां के ट्राईबल कल्चर के बारे में जान सकेंगे, उन्होंने कहा कि नक्सलवाद को बातचीत से हल किया जाना चाहिए साथ ही  धर्मांतरण को लेकर भी चिंता जताते हुए कहा कि बस्तर में ऐसा नहीं होना चाहिए.


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