Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े तालाब में शुमार और बस्तर की ऐतिहासिक सरोवर दलपत सागर आज लगभग 90 हजार दियों से जगमगा उठा. दरअसल, जिला प्रशासन द्वारा दलपत सागर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर और इसकी कायाकल्प बदलने के बाद आज कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर सभी शहरवासियों ने इस दलपत सागर के परिसर में 90 हजार दिये जलाए, एक साथ इतनी बड़ी संख्या में ऐतिहासिक दलपत सागर में दीये जलने से इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज कराया जा रहा है. 


दरअसल, बीते 3 दिनों से कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दलपत सागर में प्रशासन और युवोदय की टीम के साथ शहरवासी इस दलपत सागर को दीयों से रोशन करने के लिए तैयारी में लगे हुए थे और आज देर शाम पूरे परिसर को 90 हजार दियों से रोशन किया गया. इस मौके पर बस्तर के आईजी सुंदर राज पी, एसपी जितेंद्र सिंह मीणा, कलेक्टर रजत बंसल, महापौर सफिरा साहू और आयुक्त प्रेम कुमार पटेल के साथ-साथ सभी स्थानीय जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में शहरवासी मौजूद रहे.


मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया था लोकार्पण 


कुछ ही दिन पहले बस्तर प्रवास पर पहुंचे प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दलपत सागर का कायाकल्प बदलने के बाद इसका लोकार्पण किया था. इस दलपत सागर को लगभग 5 करोड़ रुपए की लागत से पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है. दलपत सागर के परिसर में फुटपाथ तैयार करने के साथ ही जलकुंभी से पटे छत्तीसगढ़ के इस सबसे बड़े तालाब को वीड हार्वेस्टर मशीन से साफ किया गया. अब दलपत सागर में लोग बोटिंग का लुत्फ़ उठाने के साथ ही सेल्फी जोन में फोटो भी खिंचाने पहुंच रहे हैं. कलेक्टर रजत बंसल ने बताया कि दलपत सागर को विकसित करने के लिए प्रशासन लगातार प्रयास कर रही है और तीन चरणों में काम भी किया जा रहा है. पूरे सागर के चारों और फुटपाथ बनाने की भी योजना बनाई गई है, ताकि दूसरे राज्यों से पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए दलपत सागर मुख्य आकर्षण का केंद्र रहे और लोग इस खूबसूरत जलप्रपात को निहार सके. उन्होंने कहा कि आज कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर शहरवासियों ने इस दलपत सागर को रोशन करने के लिए बड़ी संख्या में उपस्थित हुए और 90 हजार दीये यहां जलाए गए. इसके साथ ही इतनी बड़ी संख्या में दिए जलने से इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज कराया जा रहा है. 




शहरवासियों ने कही ये बड़ी बात 


शहर के बुद्धिजीवियों ने दलपत सागर में सफाई अभियान चलाकर अपने ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाई और आखिरकार जिला प्रशासन के सहयोग से इस ऐतिहासिक दलपत सागर को आज पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर बेहद खूबसूरत बनाया. शहरवासियों ने कहा कि यह दलपत सागर पूरी तरह से जलकुंभी से पटा हुआ था और सागर के आसपास असामाजिक तत्वों का जमावड़ा था लेकिन अब जिस तरह से जिला प्रशासन ने इसके कायाकल्प को बदला है. उससे ना सिर्फ बस्तर में पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि शहरवासी भी शाम होते ही दलपत सागर में घूमने पहुंच रहे हैं. 


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