Holi 2023 In Chhattisgarh: होली का पर्व रंग और गुलाल का त्योहार है. इस मौके पर उपयोग में लाए जाने वाले विभिन्न रसायनों को मिलाकर तैयार किए जाने वाले रंग और गुलाल कई बार सेहत को नुकसान भी पहुंचा देते हैं. लेकिन, छत्तीसगढ़ में लोगों के लिए हर्बल रंग व गुलाल मुहैया कराने के लिए चल रही मुहिम रंग ला रही है. अब यहां आसानी से हर्बल रंग और गुलाल मिलने लगे हैं. इस काम में बड़ी संख्या में महिलाएं लगी हुई हैं.
गोधन न्याय योजना से हो रहा काम
एक वक्त था कि बाजार में केमिकल युक्त रंग गुलाल के अलावा कुछ भी उपलब्ध नहीं था. हर बार होली के त्योहार पर त्वचा संबंधी बीमारियों को लेकर लोग परेशान रहते थे. छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना की शुरूआत के बाद केमिकल युक्त गुलाल अब लोगों के जीवन से दूर हो चले हैं. गोधन न्याय योजना से जुड़ी महिलाएं स्व सहायता समूहों के माध्यम से न सिर्फ वर्मी कंपोस्ट तैयार कर रही हैं बल्कि हर्बल गुलाल के उत्पादन में भी अग्रसर होकर स्वावलंबन की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं.
जड़ी बूटी व फूलों से बन रहा गुलाल
समूह की महिलाएं पालक, लालभाजी, हल्दी, जड़ी-बूटी व फूलों से हर्बल गुलाल बनाने का कार्य कर रही हैं. इसमें किसी भी तरह का केमिकल नहीं मिलाया जाता है. इसके अलावा मंदिरों और फूलों के बाजार से निकलने वाले पुराने फूलों की पत्तियों को सुखाकर प्रोसेसिंग यूनिट में पीसकर गुलाल तैयार किया जा रहा है. फूलों के साथ ही चुकंदर, हल्दी, आम और अमरूद की हरी पत्तियां को भी प्रोसेस कर इसमें मिलाया जाता है.
पिछले सात थी विशेष मांग
पिछले साल हर्बल गुलाल की मांग को देखते हुए इस बार भी होली पर्व को लेकर बिहान समूह से जुड़ी महिलाएं हर्बल गुलाल की तैयारी में दिन रात जुटी हुई हैं. हर्बल गुलाल की खासियत ये है कि ये पूरी तरह से केमिकल रहित होता है. इसके इस्तेमाल से कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है. हर्बल गुलाल में रंग और महक के लिए प्राकृतिक फूलों का ही इस्तेमाल किया जाता है.
बिहान समूह की महिलाओं को रोजगार
बिहान समूह की महिलाओं द्वारा स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हर्बल गुलाल का निर्माण किया जा रहा है. इसकी मांग पूरे प्रदेश में है. महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों की इस मेहनत से उन्हें स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं और वे आर्थिक स्वावलंबन की तरफ अग्रसर हो रही हैं.
इस साल ज्यादा गुलाल बनाने की तैयारी
महासमुंद जिले की ग्राम पंचायत डोगरपाली की जय माता दी समूह की सदस्य अम्बिका साहू का कहना है कि उन्होंने गत वर्ष होली में 50 किलो हर्बल गुलाल बनाया था. ये पूरा हर्बल गुलाल बिक गया था. पिछली बार की मांग को देखते हुए इस बार ज्यादा हर्बल गुलाल का उत्पादन करने का लक्ष्य है. इस गुलाल के प्रयोग से त्वचा को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है. बिहान समूह की महिलाओं का कहना है कि उनका ये भी प्रयास है कि वो लोगों को हर्बल गुलाल के फायदे को समझाएं ताकि लोग इन्हें ज्यादा से ज्यादा अपनाएं और खुशी के साथ होली का पर्व मनाएं.
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