Bastar News: बस्तर में होली के लिए पलाश फूल और हरि सब्जियों से गुलाल तैयार हो रहा है. केमिकल रहित हर्बल गुलाल नक्सल पीड़ित महिलाओं की रोजगार का साधन बन गया है. दरभा झीरम घाटी को घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है. 25 मई 2013 को झीरम घाटी में नक्सलियों ने बड़ा हमला कर कांग्रेस की पीढ़ी को समाप्त कर दिया था. लेकिन इलाके में परिवर्तन की बयार बह रही है. ग्रामीण महिलाओं को  जिला प्रशासन की ओर से रोजगार मिल रहा है. झीरम घाटी इलाके की नक्सल पीड़ित महिलाएं पपीता की खेती करने के साथ अब पलाश फूल से प्राकृतिक गुलाल तैयार कर रही हैं. गेंदा फूल महिला स्व सहायता समूह से करीब 15 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. प्राकृतिक गुलाल को जगदलपुर के बाजारों में बेचा जा रहा है.


हर्बल गुलाल से महिलाओं को मिला रोजगार


रोजगार मिलने से ग्रामीण महिलाएं और खासकर नक्सल पीड़ित महिलाएं भी काफी खुश नजर आ रही हैं. गेंदा फूल स्व सहायता समूह के सदस्य रेवती नाग ने बताया कि समूह में 15 महिलाएं पलाश के फूल से हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. महिलाओं में कुछ ऐसी भी हैं जिनके परिजन अलग अलग जगहों पर हुए नक्सली हिंसा में जान गंवा चुके हैं. जिला प्रशासन ने रोजगार देने का काम किया है. सावित्री मंडावी ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से 1 क्विंटल गुलाल बनाने का ऑर्डर मिला है.


दरभा और झीरम घाटी में ऐसे हो रहा तैयार 


अब तक 70 किलो से ज्यादा गुलाल तैयार कर पैकेजिंग की जा चुकी है. महिलाओं ने बताया कि दरभा और झीरम घाटी इलाके में पलाश के पेड़ काफी हैं. ऐसे में उन्होंने होली के दो सप्ताह भर पहले पलाश फूल को इकट्ठा करना शुरू किया. अब प्राकृतिक गुलाल को बनाया जा रहा है. होली के लिए बना गुलाल प्राकृतिक और केमिकल रहित है. होली के हुड़दंग में हर्बल गुलाल से चेहरे और शरीर को नुकसान नहीं पहुंचता है. पलाश फूल से तैयार गुलाल को प्राकृतिक कलर दिया जा रहा है. लाल रंग देने के लिए लाल भाजी, पीला रंग देने के लिए हल्दी और हरा रंग देने के लिए मेथी भाजी का इस्तेमाल किया गया है.


गुलाल बनाकर महिलाएं 10 से 12 हजार रुपये की कमाई कर रही हैं. जिला पंचायत सीईओ प्रकाश सर्वे का कहना है कि महिलाओं के बनाये प्राकृतिक गुलाल को बाजारों में बेचा जा रहा है. बाजार में प्राकृतिक गुलाल की डिमांड काफी है. होली के लिए लोग जमकर हर्बल गुलाल की खरीदारी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि आने वाले समय में बस्तर से और ज्यादा प्राकृतिक गुलाल तैयार होगा. नक्सल पीड़ित महिलाओं के जरिए बनाए प्राकृतिक गुलाल की बिक्री पड़ोसी राज्य उड़ीसा में की जा सकेगी. हल्बा कचोरा में हरि सब्जी और भाजियों से तैयार गुलाल की भी काफी डिमांड है.


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