Narayanpur News: देश के आजादी के 75 साल बाद भी आज भी नक्सलवाद का दंश झेल रहे कुछ इलाकों में मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीणों को जूझना पड़ रहा है और हर रोज अपनी जान खतरे में डालकर अपनी जरूरत की चीजों को पूरा करना पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ के नक्सल क्षेत्र नारायणपुर जिले में भी ऐसी एक तस्वीर सामने आई है. यहां सरकार के विकास के लाख दांवों के बीच यहां के सैकड़ों ग्रामीण लकड़ी से अस्थाई लंबी पुलिया बनाकर अपनी जान जोखिम में डालकर इससे पार हो करते हैं. हर साल बरसात के समय लकड़ी से बना यह अस्थायी पुल बह जाता है और ग्रामीण पूरी तरह से शहर से कट जाते हैं.


कई बार ग्रामीण कर चुके हैं पूल की मांग
दरअसल नारायणपुर ब्लॉक से करीब 25 कि.मी दूर उड़ीदगांव से बेनूर जाने वाले मार्ग पर बोदरा नाले में ग्रामीणों ने अपने आवाजाही के लिए लकड़ी से अस्थाई पुलिया बनाया है. ग्रामीणो का कहना है कि  उनके द्वारा कई बार पुल बनाने  की प्रशासन से गुहार लगाने के बावजूद भी आज तक पुल नहीं बन सका है. जिससे परेशान होकर ग्रामीणों ने खुद श्रमदान से लकड़ी के मोटे मोटे बल्लियों का प्रयोग कर अस्थाई पुलिया का निर्माण किया है.


ग्रामीणों ने कहा कि लेकिन यह केवल वैकल्पिक व्यवस्था है और कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस पुल से केवल एक बार में एक ही ग्रामीण पार कर सकता है, वहीं पुल नहीं बनने से उनके गांव के ग्रामीणों को स्वास्थ सुविधा का  लाभ नहीं मिल पा रहा है और ना ही चार पहिया वाहन, राशन गाड़ी, ट्रैक्टर उनके गांव में आना जाना कर सकते है.


उन्होंने बताया कि हर साल बरसात के समय उनका बनाया हुआ पुलिया बह जाता है. पुल की मांग को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर क्षेत्र के विधायक और कलेक्टर से भी कई बार गुहार लगा चुके हैं बावजूद इसके उनकी मांग को अनदेखा कर दिया जाता है.


मंत्री से लेकर विधायक तक पत्रचार पर नहीं हुआ समाधान 
इधर गांव के स्थानीय जनप्रतिनिधि भी कई बार विधायक, मंत्री और कलेक्टर से पुल के लिए गुहार लगा चुके हैं लेकिन उनके आवेदन पर कोई कार्यवाही अब तक नहीं हुई है. इस मामले में नारायणपुर कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी का कहना है कि ग्रामीणों के द्वारा आवेदन प्राप्त हुआ है और इस मांग पर PWD के सेतु विभाग से चर्चा भी की जा रही है.


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