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Independence Day 2022: छत्तीसगढ़ में इस साल नक्सलियों के गढ़ में लहराएगा तिरंगा, 4 दशक बाद झंडे को सलामी देंगे ग्रामीण
Azadi Ka Amrit Mahotsav: बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आज भी ऐसे गांव हैं, जहां नक्सली स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर काला झंडा फहराकर इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाते हैं.
75th Independence Day: अंग्रेजों की गुलामी से देश को आजाद हुए 75 साल पूरे होने के बाद पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) मनाया जा रहा है. इस महोत्सव को लेकर उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है. वहीं नक्सलियों (Naxalites) का गढ़ कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) में इस आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर ग्रामीणों में भी अलग ही जोश देखने को मिल रहा है. कई दशकों से बस्तर में नक्सलवाद की वजह से राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा से अनजान अब यहां के ग्रामीण इस साल शान से अपने-अपने गांव में और स्कूलों के साथ सरकारी भवनों में तिरंगा लहराएंगे.
दरअसल बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आज भी ऐसे गांव हैं, जहां नक्सली स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर काला झंडा फहराकर इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाते हैं. साथ ही ग्रामीणों को भी अपने इस राष्ट्रीय पर्व से दूर रखते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से जिस तरह बस्तर पुलिस नक्सलियों के गढ़ में घुसकर उनके संगठन को कमजोर कर रही है और उन्हें बैकफुट पर जाने को मजबूर किया है, इससे अब ग्रामीण अंचलों में इस साल राष्ट्रीय पर्व को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है.
पुलिस के जवान और ग्रामीण तैयारी में जुटे
ग्रामीण स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पहली बार अपने क्षेत्रों में तिरंगा झंडा फहराने को लेकर काफी उत्साहित भी हैं. बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि इस साल 15 अगस्त के मौके पर कभी नक्सलियों का गढ़ रहे 6 से अधिक गांवों में पहली बार तिरंगा लहराया जाएगा और इसको लेकर पुलिस के जवान और इन इलाकों के ग्रामीण पहले से ही तैयारी में जुट गए हैं. बस्तर में पिछले कई सालों से इन इलाकों में नक्सली काला झंडा लहरा कर ग्रामीणों को भी अपने राष्ट्रीय पर्व को मनाने की मनाही करते रहे हैं.
चार दशकों से पैंठ जमाए बैठे हैं नक्सली
ऐसे में ग्रामीण चाहकर भी अपने इस राष्ट्रीय पर्व को नहीं मना पाते. उन्हें मालूम ही नहीं होता की राष्ट्रीय पर्व पर तिरंगा झंडा क्यों फहराया जाता है. पिछले चार दशकों से नक्सली इन इलाकों में अपनी पैंठ जमाए बैठे हैं. इसकी वजह से राष्ट्रीय पर्व पर न कोई ध्वजारोहण होता है और न ही कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. नक्सलियों के दहशत की वजह से ग्रामीणों को उन्हीं के नक्शे कदम पर चलना पड़ता है, लेकिन इस साल ऐसा नहीं है. आजादी के अमृत महोत्सव पर बस्तर पुलिस ने ठान लिया है कि अब इन नक्सल गढ़ों में शान से तिरंगा लहराएगा और एक-एक ग्रामीण इस राष्ट्रीय पर्व को धूमधाम से मनाएगा.
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इन गांवों में इस साल फहराया जाएगा तिरंगा
बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि पिछले कुछ सालों से लगातार ऐसे इलाकों में पुलिस के जवान फोकस कर रहे हैं, जहा आज तक तिरंगा नहीं लहराया. हालांकि, अब ऐसे गांव की संख्या कम हो गई है, जहां नक्सली काला झंडा फहरा कर इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाते हैं. इस साल भी नक्सलगढ़ के 6 गांवों को बस्तर पुलिस ने चिन्हांकित किया है, जिसमें सुकमा जिले के मीनपा, पोटकपल्ली, एलमागुंडा, के साथ-साथ दूसरे 3 गांव और बस्तर जिला का चांदामेटा गांव शामिल हैं.
पुलिस को मिला रहा है ग्रामीणों का सहयोग
इन जगहों पर पहली बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर तिरंगा लहराया जाएगा और इस राष्ट्रीय पर्व पर एक-एक ग्रामीण बड़े धूमधाम से इस पर्व को मनाएगा. आईजी ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस में ध्वजारोहण के लिए इन गांव में पुलिस अभी से ही तैयारी में जुट गई है. इस पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए पूरे ग्रामीणों का भी सहयोग पुलिस को मिल रहा है. बकायदा ग्रामीण भी इस पर्व को मनाने के लिए काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि अब अपने गांव में तिरंगा पर आने के साथ ही अपने राष्ट्रीय पर्व को धूमधाम से मना सकेंगे.
पुलिस ने इस तरह जीता ग्रामीणों का विश्वास
बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि गांव में पुलिस ने कैंप स्थापित कर लगातार ग्रामीणों का विश्वास जीता और नक्सलियों को बैकफुट पर लाने के लिए एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाया गया, जिससे नक्सली काफी हद तक इन इलाकों से अब दूर चले गए हैं. इसके बाद पुलिस और जिला प्रशासन मिलकर इन गांव में विकास पहुंचाने के साथ ग्रामीणों को राष्ट्रीय पर्व की जानकारी देने के साथ ही यहां के बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. यहां की स्कूलों को भी दोबारा खोला गया है, ऐसे में अब इन स्कूलों, सरकारी भवनों और ग्रामीण अंचलों में बकायदा स्वतंत्रता दिवस के दिन पहली बार तिरंगा लहराया जाएगा और इसके गवाह पूरे क्षेत्र के ग्रामीण बनेंगे.
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