Festive Special Trains: दीपावली और छठ त्योहार मनाने के लिए लोग बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ से अपने घरों की ओर उत्तर प्रदेश और बिहार रवाना हो रहे हैं. इसके कारण रायपुर सहित तमाम रेलवे स्टेशनों में यात्रियों की भीड़ देखने को मिल रही है. मुंबई के बांद्रा में जिस तरह से रेलवे स्टेशन में भगदड़ मची, उसके बाद आखिर छत्तीसगढ़ के रायपुर रेलवे स्टेशन में रेलवे प्रशासन ने उससे क्या सीख ली.


त्योहार के सीजन में जब यात्रियों की भीड़ ट्रेनों से अपने गांव की ओर निकल रही है, ऐसे में रायपुर रेलवे स्टेशन में रेलवे की क्या तैयारी है? इसका जायजा लेने के लिए एबीपी न्यूज़ की टीम रायपुर रेलवे स्टेशन पहुंची. जहां देखा गया कि रायपुर से होकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल जाने वाली ज्यादातर ट्रेन के सभी कोच फुल हैं. यहां पर स्लीपर से लेकर जनरल बोगी में यात्री खचाखच भरे पड़े हैं. जनरल कोच में तो बड़ी दयनीय हालत है.


बाथरूम तक में बैठे हैं लोग
जनरल कोच के अंदर यात्रियों के खड़े होने तक की जगह नहीं है. जो जहां घुस गया वहीं खड़े होकर ही यात्रा करने को मजबूर है. कुछ यात्रियों ने बताया कि पिछले 15 घंटे से वह खड़े होकर यात्रा कर रहे हैं. जनरल डिब्बों के बाथरूम तक में लोग बैठे हैं. वहीं स्पेशल ट्रेन चलाई जाने को लेकर लोगों का कहना है कि रेलवे के दावे फेल हैं. सिर्फ स्पेशल ट्रेनों की बात कही जा रही है. अभी तक अगर स्पेशल ट्रेन चलाई जाती तो यहां इतनी भीड़ देखने को नहीं मिलती, लोग परेशान है.


यात्रियों से बातचीत
रायपुर रेलवे स्टेशन पर मौजूद यात्रियों ने बताया कि यहां रोजाना 50 से 60 हजार यात्रियों की आवाजाही होती है. त्योहारी सीजन में दीपावली और छठ को देखते हुए संख्या एक लाख तक पहुंच चुकी है. ऐसे में प्लेटफार्म पर ट्रेन रुकते ही गेट के बाहर यात्रियों की इतनी भीड़ इकट्ठा हो जाती है जिसे कंट्रोल करना ही मुश्किल हो जाता है. रायपुर से गुजरने वाली हर एक ट्रेन में लंबी वेटिंग है. ऐसे में लोग गांव कैसे जाएं? इसीलिए लोग जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को मजबूर हैं.


'पहले से पैक नजर आ रही हैं ट्रेन'
एक दुसरे यात्री ने बताया कि रायपुर के रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर पांच पर दुर्ग से छपरा की ओर जाने वाली सारनाथ एक्सप्रेस आनी थी. उसके पहले दूर-दूर तक सिर्फ भीड़ नजर आ रही है. जैसे ही ट्रेन आती है, लोग ट्रेन में घुसने के लिए भाग दौड़ करने लग जाते हैं. जिसे जहां जगह मिली वह धक्का मार के वहां खड़ा हो गया. यात्री सिर्फ इतने जुगाड़ में है कि ट्रेन के अंदर खड़े होने की जगह मिल जाए, लेकिन ट्रेन पहले से ही यात्रियों से पैक नजर आ रही हैं.


यात्री ने कहा कि एक दूसरे को धक्का देकर जान जोखिम में डालकर यात्री यात्रा करने को मजबूर हैं. कोई परिवार के साथ अगर यात्रा कर रहा है और ट्रेनों में वेटिंग है. मजबूरी में अगर वह जनरल डिब्बे में जाना चाह रहा है तो यात्रा तो छोड़िए वह ट्रेन के अंदर नहीं घुस सकता. क्योंकि ट्रेन के अंदर पैर रखने के लिए ही बड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी और अगर आप ट्रेन के अंदर घुस गए तो अपनी किस्मत ही मानिए.


जान जोखिम में डालकर यात्रा कर रहे
फिलहाल, रायपुर से होकर गुजरने वाली हर एक ट्रेन का त्योहार के सीजन में यही हाल है. लेकिन जिस तरह से रेलवे स्टेशनों के प्लेटफार्म में अचानक से भीड़ बढ़ रही है, जान जोखिम में डालकर यात्री यात्रा कर रहे हैं. भीड़ को कंट्रोल करने के लिए प्लेटफार्म में महज 2 से 3 आरपीएफ के ही जवान ड्यूटी में दिखाई देते हैं.


ऐसे में अगर रायपुर रेलवे स्टेशन में कुछ आपातकालीन स्थिति हो जाती है तो यहां ना ही कोई कंट्रोल रूम बनाया गया है और ना ही रेलवे स्टेशन के बाहर कोई एंबुलेंस की व्यवस्था है. ऐसे में रेलवे प्रशासन को जल्द ही मुंबई की बांद्रा की घटना से सीख लेकर तैयारियां दुरुस्त करने की जरूरत है.


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