Indian Railways: संभाग मुख्यालय अंबिकापुर उत्तरी छत्तीसगढ़ का आखिरी रेलवे स्टेशन है. इसके आगे रेल लाइन का विस्तार नहीं हुआ है. इस स्टेशन तक आनेवाली गिनी चुनी ट्रेनों में से कई महत्वपूर्ण ट्रेनों को रेल प्रबंधन ने बंद कर दिया है. करीब तीन महीने से दो ही ट्रेन अम्बिकापुर से चल रही हैं. ट्रेन की सुविधा में कमी होने से यात्री बस की महंगी सवारी करने को मजबूर हैं. छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में कोयले की प्रचुर मात्रा उपलब्ध है.
अंबिकापुर से चलने वाली कई ट्रेनें हैं बंद
सरगुजा के कोयले से सरकारों को तगड़ा मुनाफा हो रहा है. लेकिन रेल कनेक्टिविटी के नाम पर आज भी इलाका पिछड़ा है. आजादी के अर्से बाद अंबिकापुर तक रेल लाइन बिछाई गई. बाद में अंबिकापुर अनूपपुर रेलवे ट्रैक को एक्सप्रेस ट्रेन चलाने लायक बनाने की कोशिश हुई. लेकिन अब इस रूट पर चलने वाली महत्वपूर्ण ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया गया. उत्तरी छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े शहर अंबिकापुर से चलने वाली अंबिकापुर-शहडोल ट्रेन लॉकडाउन के बाद से बंद है. अंबिकापुर से अनूपपुर जाने वाली बीबीएम ट्रेन नहीं चल रही है.
अंबिकापुर-जबलपुर ट्रेन का परिचालन भी पिछले दो महीनों से ठप है. कल रेलवे ने नया आदेश पारित कर 24 जून तक के लिए इस ट्रेन को फिर रद्द कर दिया है. वर्तमान में अंबिकापुर रेलवे स्टेशन से अंबिकापुर मेमू (सुबह 6 बजे) और अंबिकापुर-दुर्ग ट्रेन (रात 10 बजे) चल रही है. अंबिकापुर-शहडोल ट्रेन बंद होने से लोगों को संपर्क क्रांति और नर्मदा एक्सप्रेस जैसी कई और गाड़ी नहीं मिल पाती है. इस ट्रेन के बंद होने से लोग इंदौर, भोपाल जैसे शहरों तक सीधे नहीं पहुंच पा रहे हैं. अंबिकापुर-जबलपुर एक्सप्रेस के बंद होने से लोग जबलपुर के अलावा महाराष्ट्र और दिल्ली तक की सीधी ट्रेन नहीं पकड़ पाते हैं. लोगों को सतना, रीवा और उत्त रप्रदेश के तमाम शहरों तक ट्रेन के माध्यम से पहुंचने में परेशानी हो रही है.
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सोशल मीडिया पर मामला हुआ वायरल
दिल्ली तक ट्रेन का सपना देखने वाले रेल यात्रियों को सवारी गाड़ी के बंद होने से बेहद पीड़ा हो रही है. यात्रियों का कहना है कि एक तरफ ट्रेनों को बंद किया जा रहा है तो दूसरी तरफ नई ट्रेन का सपना दिखाया जा रहा है. सोशल मीडिया पर तरह तरह के पोस्ट आ रहे है. अंबिकापुर के एक फेसबुक यूजर ने लिखा है कि "कहां हम नई ट्रेन शुरू होने की उम्मीद लगाए हैं..!यहां तो जो चल रहीं थीं वह भी बंद हो गईं...!" एक अन्य यूजर ने लिखा है कि "रेलवे का बेहद दुर्भाग्यजनक और खराब फैसला. भारतीय रेलवे के अधिकारियों ने साफ बता दिया कि छत्तीसगढ़ वासियों, आप हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण है. अब तो जागो प्यारे."
चालू ट्रेनों को बंद करने के फैसले से गुस्सा
कुछ दिन पहले दिल्ली तक सीधी ट्रेन चलने की सुगबुगाहट होने से लोगों को खुशी हुई. खुशी में लोग उन मांगो को भूल गए जो रेलवे के रिकॉर्ड में कूड़ा फांक रहा है. लंबे अर्से तक अंबिकापुर रेल लाइन का विस्तार झारखंड के बरवाडीह तक किए जाने की मांग हुई. खबर आई कि मांग का मामला बजट तक पहुंच गया. अंबिकापुर को उत्तर प्रदेश के रेणुकूट और दूसरी ओर प्रदेश के कोरबा से जोड़े जाने की मांग शुरू हुई. मांगों के पीछे तथ्य ये था कि आजादी के बाद से रेल पहुंचविहीनता का दंश झेलने वाला सरगुजा संभाग सीधे महानगरों से कनेक्ट हो जाएगा. लेकिन ये सब मांगें ढाक के तीन पात हो गईं और जो ट्रेन चल रही थी उसको बंद करके फिलहाल रेल प्रबंधन आग में घी डालने का काम कर रहा है.
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