Chhattisgarh: 200 साल पुराने पीपल के पेड़ पर 150 से ज्यादा अजगरों का आशियाना, किसी को नहीं पहुंचाते नुकसान!
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में एक 200 साल पुराने पीपल के पेड़ पर करीब 150 अजगर रहते हैं. जांजगीर से लगभग 8-9 किलोमीटर दूर भड़ेसर गांव के लोग इन अजगरों की पूजा करते हैं.
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Janjgir-Champa News : छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में एक अनोखी जगह है. जहां एक गांव में 200 साल पुराने पीपल के पेड़ पर अजगरों ने अपना बसेरा बनाकर रखा है. यहां 20-40 नहीं, बल्कि 100-150 से ज्यादा अजगर रहते हैं. ये पेड़ अंदर से पूरी तरह से खोखला है. जो अजगरों का पसंदीदा जगह बन गया है. दरअसल, जिला मुख्यालय जांजगीर से लगभग 8 से 9 किलोमीटर की दूरी पर भड़ेसर गांव है. यहां महात्मा राम पाण्डेय के आवास परिसर में एक पीपल का पेड़ है, इससे ग्रामीणों की श्रद्धा भी जुड़ी है. वे इन अजगरों की पूजा करते हैं. यहां आने वाले लोगों को अजगर के छोटे-छोटे बच्चे भी आसानी से घूमते हुए नजर आ जाएंगे. पीपल के पेड़ की चौड़ाई 5 मीटर से भी अधिक है.
राम पांडेय का पूरा परिवार करता है अजगरों की पूजा
महात्मा राम पाण्डेय बताते हैं कि पीपल के पेड़ पर अजगर लिपटे रहते हैं. उन्होंने बचपन से यहां अजगरों का बसेरा देखा है. उन्हें इनसे डर नहीं लगता, बल्कि वे और उनका पूरा परिवार इनकी पूजा करता है. अजगर पेड़ के खोखले तनों के बीच में रहते हैं. जो बारिश और ठंड के मौसम में धूप लेने के लिए बाहर निकलते हैं. वे इधर-उधर जमीन पर घूमते हैं, लेकिन शांत बने रहते हैं. वे किसी पर आक्रमण नहीं करते. पेड़ की टहनियों पर भी वे शांति से ही बैठे रहते हैं, ये देखकर गांववालों को भी हैरानी होती है.
पेड़ पर बैठने वाले पक्षियों और गिलहरियों तक का शिकार नहीं करते अजगर
बारिश के मौसम में जब पेड़ के खोखले भाग में पानी भर जाता है. तब बहुत सारे अजगर पेड़ से बाहर निकल आते हैं. उस वक्त स्थानीय लोग महात्मा राम पाण्डेय के घर अजगर देखने के लिए उमड़ पड़ते हैं. लोग बताते हैं कि खतरनाक होने के बावजूद अजगरों ने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है. यहां तक कि अजगर पीपल के इस पेड़ पर बैठने वाले पक्षियों और गिलहरियों तक का शिकार नहीं करते.
लावारिश अजगरों को पेड़ पर छोड़ देते हैं लोग
अजगरों को पालने वाले महात्मा राम पाण्डेय ने बताया कि पीपल के पेड़ के पास पहले उनका खेत हुआ करता था. तब उनके दादाजी ने अजगरों को पेड़ में पनाह दी थी, तब से अजगर पीपल के पेड़ पर ही रहने लगे. कई सालों से पेड़ पर रहने वाले अजगरों का जल्द ही नए अजगरों के साथ तालमेल बैठ जाता है. यहां तक कि महात्मा राम आसपास के गांव से लावारिस अजगरों को लाकर पेड़ पर छोड़ देते हैं. भड़ेसर गांव के लोगों का कहना है कि अजगर पूजनीय होता है और उसका घर में होना शुभ माना जाता है. वे घर में हों, तो धनलाभ होता है. उसके रहने से जीवन में धन और यश की प्राप्ति होती है, यही वजह है कि ग्रामीण उनका आर्शीवाद लेने पेड़ के करीब जाते हैं.
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