Chhattisgarh News: पुलिस पर लोगों के सुरक्षा की जिमेदारी रहती है लेकिन जब पुलिस पर ही हमला हो जाए तो अपराधियों के हौसले कितने बुलंद होंगे इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं. छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा (Janjgir-Champa) जिले में पुलिस की टीम पर हमला हुआ है. इस हमले में एसडीओपी और एएसआई गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. उनपर डंडे और लोहे की रॉड से हमला किया गया है. दरअसल पामगढ़ के सेमरिया गांव में अवैध शराब निर्माण और बिक्री की सूचना पर 10 जवानों की टीम गुरुवार को गांव पहुंची थी. सेमरिया डेरा में पुलिस ने एक महिला को पकड़ा भी और उसको उसको थाने भेजा गया लेकिन बाकी जवानों की टीम गांव से गुजर रही थी तभी अचानक शराब माफिया ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया. 


5 लिए गए हिरासत में
इसमें पामगढ़ टी आई ओमप्रकाश कुर्रे और एएसआई शिव चंद्रा घायल हो गए. दोनों को गंभीर चोट लगी है. उनको बिलासपुर रेफर किया गया है. हादसे के बाद जांजगीर चांपा पुलिस एक्शन में आ गई है. जिले के एसपी विजय अग्रवाल ने एबीपी न्यूज को बताया कि इसमें एसडीओपी और एएसआई घायल हुए हैं. इसके अलावा दो आरक्षक को भी चोट आई है. इस मामले में अबतक 5 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. इसके बाद आगे कार्यवाही की जाएगी. दोनों घायलों को बिलासपुर रेफर किया गया है. उनकी हालत पहले से बेहतर है. आरोपियों के खिलाफ धारा 307 के तहत अपराध दर्ज किया गया है.


शराब माफिया का खेल?
जांजगीर चांपा में शराब माफिया लंबे समय से सक्रिय हैं. ये कहना गलत नहीं होगा की जिले के ग्रामीण अंचल में पुलिस के नाक के नीचे से शराब निर्माण और बिक्री हो रही है. जिले के स्थानीय लोगों ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया है कि, जांजगीर चांपा ही नहीं उससे लगे रायगढ़ जिले में भी देशी शराब महुआ से बनाया जाता है. ये सस्ता होता है इसलिए लोग इसे ज्यादा पीते हैं. जो गांव जंगल के किनारे बसे होते हैं उन गांवों के कुछ लोग जंगल की तरफ जाकर शराब बनाते हैं. इसके बाद गांव में कुछ लोग शराब प्लास्टिक के पाउच में या लिटर वाले प्लास्टिक डब्बे में बेचते हैं. 


छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा मुद्दा
बता दें कि छत्तीसगढ़ में शराबबंदी एक बड़ा मुद्दा है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी ने शराबबंदी को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था. कांग्रेस का दावा है कि छत्तीसगढ़ में शराबबंदी की जाएगी लेकिन इस दावे की असल सच्चाई ये है कि सरकार बने 4 साल बीत गए लेकिन शराबबंदी का मामला ठंडे बस्ते में ही पड़ा है. वहीं जब कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण लॉकडाउन लगा था तब शराब की होम डिलीवरी की जाती थी. अब सामने फिर से विधानसभा चुनाव है तो ये लाजमी है कि इस बार भी शराबबंदी का मामला चुनावी शोर में सबसे उपर होगा.


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