Janjgir Champa News: बड़े बुजुर्ग कहते आ रहे हैं कि राम से बड़ा राम का नाम है. भगवान राम की भक्ति देशभर में अलग अलग तरह से की जाती है. ऐसा ही अनोखा राम भक्त छत्तीसगढ़ का रामनामी समाज है. रामनामी समाज के सिर से लेकर पैर यानी रोम रोम में राम राम बसें हैं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं जांजगीर चांपा जिले में 122 साल पहले शुरू हुए रामनामी संप्रदाय की.


देशभर में भगवान राम के मंदिर, मूर्ति की पूजा की जाती है. लेकिन ये रामनामी संप्रदाय मूर्ति पूजा नहीं करता है. हालांकि निर्गुण राम राम के नाम को दिल की गहराइयों में जगह दी है. इसलिए राम नाम को कण कण में बसाने का काम करते हैं. इस संप्रदाय से जुड़े लोग पूरे शरीर पर राम राम का नाम गुदवाते हैं.


राम राम लिखे कपड़े का धारण करते हैं. मयूर पंख से बने मुकुट पहनते हैं. घरों में राम राम लिखवाते हैं और एक दूसरे से मिलने पर नमस्कार की जगह राम राम से अभिवादन करते है. इतना ही नहीं रामनामी समाज के लोग एक दूसरे को राम राम ही कहकर पुकारते हैं.


कब अस्तित्व में आया रामनामी संप्रदाय


छत्तीसगढ़ के बलौदाबजार, जांजगीर चांपा, मुंगेली और रायगढ़ जिले में दलित समाज के लोगों की संख्या ज्यादा है. जांजगीर चांपा के एक छोटे से गांव चारपारा में दलित युवक परशुराम ने 1890 के आसपास रामनामी संप्रदाय की स्थापना की थी. इस दौर को दलित आंदोलन के रूप में देखा जाता है क्योंकि रामनामी समाज से जुड़ने वाले लोगों की संख्या दिनोंदिन बढ़ने लगी.


रामनामी समाज में टैटू की है खासियत


रामनामियों को राम राम शरीर पर गुदवाना अनिवार्य है. गोदना करवाने के बाद समाज में अलग पदवी का विभाजन होता है. समाज के महासचिव गुलाराम रामनामी ने बताया कि, राम राम से अभिवादन करनेवाले और शरीर के किसी भी हिस्से में राम नाम लिखवाने वाले को रामनामी कहते है. माथे पर दो बार राम का नाम गुदवाने वाले शिरोमणी कहलाते हैं. पूरे माथे पर राम राम नाम लिखवाने वाले को सर्वांग कहते हैं और शरीर के प्रत्येक हिस्से पर यानी सिर से लेकर पैर तक राम राम का नाम लिखवाने वाले को नखशिख कहा जाता है.


रामनामियों में भजन के सारे शब्द राम राम हैं, रामनानी मंदिर नहीं जाते हैं, अयोध्या के राम भगवान की मूर्ति की पूजा नहीं करते हैं. लेकिन मानते हैं कि राम भगवान कण कण में बसते हैं. राम समाज के लोगों की सांसों और तन में हैं. रामानामी समाज के गुलाराम रामनामी बताते हैं कि पहले के दौर में दलितों को मंदिरों से दूर रखा गया. कपड़े और कागज में राम लिखवाने पर मिटाए जा सकते थे. इसलिए पूर्वजों ने अपने मस्तक पर राम राम का स्थायी नाम लिखवाया.


अगले साल बिलाईगढ़ में बड़े भजन मेला


राज्य में रामनामी समाज का बड़े भजन मेला प्रसिद्ध है. इस मेले में देश विदेश के लोग शामिल होने आते हैं. हर साल अलग अलग जगहों पर बड़े भजन मेले का आयोजन किया जाता है. इस मौके पर संप्रदाय के लोग आपस में मिलते हैं और नए लोगों को रामनामी संप्रदाय की दीक्षा दी जाती है. इस वर्ष कोरोना के चलते बड़े भजन मेला का आयोजन नहीं हो सका था. लेकिन अगले वर्ष बिलाईगढ़ में बड़े भजन मेले की तैयारी चल रही है.


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