Jashpur News: सरकार विकास के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करती है लेकिन कुछ इलाके अनदेखी और प्रशासनिक उदासीनता के कारण विकास से कोसों दूर छूट जाते हैं. ऐसा ही मामला जशपुर जिले से सामने आया है. स्वास्थ्य विभाग की एक महिला कर्मचारी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पहुंच विहीन गांव में स्वास्थ्य सेवा देने के लिए महिला कर्मचारी को बांस से बनी नाव का सहारा लेना पड़ा. वीडियो में देखा जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग की महिला कर्मचारी बांस की नाव में सफर कर रही है. स्वास्थ्य अमला लोगों तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए विशेष प्रयास कर रहा है. वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग शिशु संरक्षण माह चला रहा है.


एएनएम ने बांस से बनी नाव को बनाया सहारा


शिशु संरक्षण माह के तहत नन्हे मुन्ने बच्चों को विटामिन ए सिरप पिलाया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने कुल 73 हजार 680 बच्चों को विटामिन ए और आईएफए सिरप पिलाने का लक्ष्य रखा है. एएनएम पुष्पा भगत को मनोरा विकासखंड के मतलोंगा में बांस से बनी नाव के जरिए सफर कर जाना पड़ा. आपको बता दें कि अलोरी से मतलोंगा जाने के लिए सड़क नहीं है. जिला प्रशासन का उद्देश्य है कि कोई भी दूरस्थ अंचल का बच्चा स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित न रह जाए. लेकिन ब्लॉक मुख्यालय से दूरस्थ क्षेत्रों की कुछ बस्तियों तक जाने के लिए आज भी सड़क उपलब्ध नहीं है. सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को स्वास्थ्य केंद्र और स्वास्थ्य कर्मचारियों को गांव तक पहुंचने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.






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सड़क नहीं होने पर जुगाड़ को बनाया साधन


विपरीत परिस्थितियों में भी जुगाड़ के साधन से पहुंच विहीन इलाकों तक स्वास्थ्य कर्मी दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं. बीएमओ रोशन बरियार ने बताया कि मतलोंगा जाने के लिए सड़क बहुत दूर है और रास्ता लंबा पड़ता है. इसके मुकाबले नाला वाला रास्ता शॉर्टकट पड़ता है. उन्होंने आगे बताया कि सड़क से गांव में जाने पर दूरी लगभग दो से तीन किलोमीटर होती है, लेकिन नाला को पार करने पर गांव नजदीक हो जाता है. बीएमओ बरियार ने एएनएम पुष्पा भगत के काम की सराहना की है. उन्होंने कहा कि उम्रदराज होने के बावजूद पुष्पा ने कर्तव्य का निर्वहन विषम परिस्थिति में किया. उन्होंने मनोरा विकासखंड के अन्य कार्यकर्ताओं को पुष्पा भगत से सीख लेने की नसीहत दी. 


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