Jashpur News: गज-गाज-भुजंग के आतंक से थर्राया जशपुर, दो दिन में हाथियों ने 2 महिलाओं को मार डाला
Chhattisgarh News: हाथियों के अलावा आकाशीय बृजपात गाज का आतंक भी बारिश शुरू होने के साथ-साथ देखा जाता है. प्रतिवर्ष अकाशीय बृजपात के कहर से दर्जनों लोग एवं कई मवेशियों की मौत हो जाया करती है.
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Jashpur News: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में मानसून के दस्तक देने के साथ ही हाथी, गाज एवं सर्पदंश का आतंक शुरू हो जाता है. प्रतिवर्ष मानसून के साथ ही अकाशीय ब्रजपात एवं सर्पदंश के साथ-साथ हाथियों की वजह से दर्जनों लोगों की मौत हो जाया करती है. ताजा मामला जशपुर जिले के बगीचा एवं कांसाबेल वन परिक्षेत्र का है. जहां हाथियों के दल ने 2 दिनों के भीतर दो अलग-अलग जगहों पर 2 महिलाओं को मार डाला है. वहीं कई मकानों को क्षतिग्रस्त किया गया है. हाथियों के आतंक से गांव में अफरा-तफरी का माहौल बन गया है.
बताया गया कि एक दिन पूर्व बगीचा विकासखंड के सलखाडांड निवासी फुल्की बाई की इन हाथियों के हमले से मौके पर ही महिला की मौत हो गई थी. महिला के साथ परिवार के अन्य लोग भाग कर अपनी जान बचाए थे. इसी तरह बीती रात कांसाबेल वन परिक्षेत्र के अंतर्गत ग्राम देवरी में रात करीबन 11 बजे हाथियों का आतंक प्रारंभ हुआ. जहां कई मकानों को तोड़ने के बाद गांव की निवासी सुमति बाई पति मंजन राम (50 वर्ष) को हाथियों ने दौड़ाकर कुचल कर मार डाला. इसके अलावा गांव के कई मकानों को क्षतिग्रस्त भी किया गया है.
बहरहाल, वन अमला एवं पुलिस की टीम नियमानुसार कार्यवाही कर रही है. बताया जाता है कि प्रतिवर्ष हाथियों के द्वारा बारिश के इस मौसम में जंगलों से निकलकर गांव की तरफ आते हैं एवं फसलों के साथ-साथ जानमाल का काफी नुकसान पहुंचाया जाता है.
आकाशीय गाज का कहर
हाथियों के अलावा आकाशीय बृजपात गाज का आतंक भी बारिश शुरू होने के साथ-साथ देखा जाता है. प्रतिवर्ष अकाशीय बृजपात के कहर से दर्जनों लोग एवं कई मवेशियों की मौत हो जाया करती है. बताया जाता है कि कुछ दिन पूर्व ही बगीचा विकासखंड के पाठ क्षेत्र में गाज मारने की वजह से मां, बेटा सहित आठ लोग घायल हो गए थे. जिसमें बेटे की मौत हो गई थी.
घटना बगीचा के पठारी गांव भढ़िया की थी एवं इसी तरह छिछली गांव में भी एक ही परिवार के चार लोग अकाशीय ब्रजपात की चपेट में आए थे. इसी के 2 दिन बाद सन्ना पाठ क्षेत्र में अकाशीय व्रजपात होने की वजह से एक मवेशी बैल की मृत्यु हो गई थी. गौरतलब है कि पिछले वर्ष ही आसमानी कहर की चपेट में आकर पाठ क्षेत्र के एक साप्ताहिक बाजार में दर्जनों लोगों की मौत हुई थी.
सर्पदंश से भी होती हैं कई मौतें
बारिश के प्रारंभ होने के साथ ही जहां एक तरफ गज यानी हाथियों का आतंक होता है. वहीं दूसरी तरफ गाज आकाशीय कहर से भी कई लोग जान से हाथ धो बैठते हैं. इन दोनों के अलावा जशपुर जिले में सर्पदंश से भी प्रतिवर्ष कई मौतें हो जाया करती हैं. जिले के तपकरा, पत्थलगांव, कांसाबेल इलाके को नाग लोक के नाम से जाना जाता है. जहां आए दिन सर्पदंश की घटनाएं होती हैं और क्षेत्र के ग्रामीण झाड़-फूंक के चक्कर में रहकर अपनी जान गवा बैठते हैं. बहरहाल, इन दिनों प्रशासनिक अमला गांव-गांव में जाकर सर्पदंश से बचने के उपायों के बारे में जानकारियां दी जा रही हैं.
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