Jashpur News: जशपुर की साइकिलिस्ट एलिजाबेथ बेक का नेशनल गेम्स के लिए हुआ चयन, कहा- प्रशासन से नहीं मिली मदद
Chhattisgarh News: जशपुर की प्रतिभावान साइकिलिस्ट एलिजाबेथ बेक का चयन गुजरात में होने वाले नेशनल गेम्स के लिए हुआ. एलिजाबेथ को गुजरात जाने के लिए पैसे खुद ही खर्च करने होंगे.
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Elizabeth Beck News: छत्तीसगढ़ के जशपुर (Jashpur) की प्रतिभावान साइकिलिस्ट एलिजाबेथ बेक (Elizabeth Beck) का चयन गुजरात (Gujarat) में होने वाले नेशनल गेम्स के लिए हुआ है. एलिजाबेथ पिछले 10 साल से साइकिलिंग कर रही हैं. नेशनल गेम्स में चयन होने की सूचना जैसे ही एलिजाबेथ को मिली, उनके परिवार में खुशी का माहौल छा गया, लेकिन एलिजाबेथ को गुजरात जाने के लिए पैसे खुद ही खर्च करने होंगे.
यह सुनते ही एलिजाबेथ और उसके परिवार के सामने बड़ी परेशानी खड़ी हो गई. क्योंकि एलिजाबेथ गरीब परिवार से हैं और उनका परिवार जैसे तैसे खेत, मजदूरी कर जीवन यापन कर रहा है. मामला जशपुर के बगीचा विकासखंड का है.
बचपन से था साइकिलिंग का शौक
महादेवडांड की रहने वाली आदिवासी परिवार की बेटी एलिजाबेथ बेक को बचपन से ही साइकिलिंग का शौक रहा है. एलिजाबेथ ने घर में अपने पिता के साइकिल से साइकिलिंग की शुरुआत की. बाद में साइकिलिंग को ही अपना करियर बनाने के लिए स्कूल की पढ़ाई के बाद अम्बिकापुर पहुंची. वहां कॉलेज में दाखिले के साथ साइकिलिंग के लिए डाइट मेंटेन करने के लिए आने वाले खर्च को पूरा करने एक क्लिनिक में भी काम करने लगी. इसी दौरान सामान्य साइकिल से उसने सरगुजा के मैनपाट में आयोजित प्रतियोगिता में जीत हासिल की. जिसके बाद एक जनप्रतिनिधि ने इसकी खेल प्रतिभा को देखते हुए लगभग एक लाख रुपए की साइकिल दी, ताकि वह अपनी प्रतिभा को और निखार सके.
एडवांस साइकिल मिलने के बाद एलिजाबेथ ने अपनी प्रैक्टिस जारी रखी और प्रतिभा निखारते हुए छत्तीसगढ़ समेत अन्य प्रदेशों में कई खिताब जीते. अब एलिजाबेथ का चयन अक्टूबर में गुजरात ने होने वाले नेशनल गेम्स के लिए हुआ है. नेशनल गेम्स में चयन की सूचना मिलते ही पूरा परिवार खुश था लेकिन अब सब परेशान हैं, क्योंकि एलिजाबेथ के पिता की छोटी सी जमीन है. जिसपर खेती किसानी और मेहनत मजदूरी करके पूरा परिवार जीवन यापन करते हैं. एलिजाबेथ भी अब क्लिनिक की नौकरी छोड़ घर वापस लौट चुकी है, क्योंकि कम तनख्वाह में बाहर रहकर गुजर बसर करना मुमकिन नहीं था.
आने-जाने के लिये भी नहीं मिल रही कोई मदद
एलिजाबेथ का परिवार परेशान है कि अब वो अपनी बेटी को नेशनल गेम में शामिल होने के लिए गुजरात कैसे भेजे. एलिजाबेथ ने जिले के अधिकारियों से भी मुलाकात की ताकि उसे गुजरात जाने के लिए कोई सरकारी मदद मिल सके, लेकिन अधिकारियों ने नियम का हवाला देते हुए मदद से इनकार कर दिया. प्रदेश में खेल प्रतिभाओं को निखारने, बढ़ाने के नाम पर भले ही करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हों, लेकिन हकीकत ये है कि एलिजाबेथ जैसी कई प्रतिभाएं प्रशासनिक उपेक्षा और लापरवाही की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में ही दबकर रह जाते हैं.
एलिजाबेथ ने बताया कि उसका गुजरात में नेशनल गेम के लिए चयन हुआ, लेकिन उसका आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब है. इसकी वजह से वह खुश भी है और दुखी भी है. उसे ये डर सता रहा है कि कैसे वहां तक पहुंचेगी? एलिजाबेथ ने आगे बताया कि टिकट, आने जाने का खर्च को लेकर वह परेशान है. इसके लिए उसने काफी लोगों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन सभी आश्वासन दिए हैं. अब तक कहीं से कोई सहायता नहीं मिल सका. कोई हफ्तेभर का टाइम दिए हैं, उसी का इंतजार है. इसके अलावा एलिजाबेथ ने कलेक्टर से भी मुलाकात की. वहां उन्हें ये बताया कि कोई प्रावधान नहीं है. बाकी एक हफ्ते का टाइम दिए हुए हैं.
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