Jashpur News: जिस पानी को मवेशी पीते है उसी को पी रहे इंसान, शुद्ध पानी के लिए तरस रहे यहां के आदिवासी
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के एक गांव में 8 परिवार शुद्ध पानी के लिए तरस रहे हैं. यहां लोगों को मवेशियों के पानी को पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
गर्मी का मौसम शुरू होते ही पानी की समस्या आम हो जाती है. गर्मी के शुरुआती दिनों में शासन-प्रशासन दावा करती कि लोगों को पानी की समस्या नहीं होगी. समय रहते खराब हैंडपंपों का सुधार किया जाएगा और जहां हैंडपंप नहीं है वहां नए हैंडपंप लगवाए जाएंगे. जिससे लोगों को शुद्ध पेयजल मिल सके. लेकिन छत्तीसगढ़ के जशपुर (Jashpur) से ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने शासन-प्रशासन के दावों की पोल खोल कर रख दी है. दरअसल, जिले में एक ऐसा गांव है जहां के निवासी नदी के रेत में छोटा छोटा गड्ढा खोदकर उससे निकलने वाले पानी को पीने के लिए इस्तेमाल कर रहे है. यहीं नहीं उसी गड्ढे के पानी को मवेशी भी पी रहे है. मामला फरसाबहार ब्लॉक का है.
बांकीटोला के टोलापारा में 8 परिवार गंदा पानी पीने को मजबूर
ग्राम पंचायत तुमला के आश्रित ग्राम बांकीटोला के टोलापारा में लगभग 8 परिवार निवास करते है. जिन्हे इस भीषण गर्मी में शुद्ध पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है. लेकिन शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है. आलम ये है कि टोलापारा के निवासी गांव से होकर बहने वाली छोटी सी बांके नदी का पानी पीते है. वहां के ग्रामीणों ने बताया कि नदी का पानी गंदा रहता है जो पीने योग्य नहीं रहता इसलिए उस नदी के किनारे में जो रेत है उसमे छोटा छोटा गड्ढा करते है, और उस गड्ढे में नदी का पानी रिसकर भर जाता है. उसी पानी को छोटे से बर्तन से भरकर पात्रों में रखकर अपने घर ले जाते और पीने के लिए इस्तेमाल करते है.
शुद्ध पानी के लिए तरस रहे लोग
ग्रामीणों का कहना है कि हर साल गर्मी के दिनों में पानी के लिए ऐसे ही हालात बन जाते है. शुद्ध पानी के लिए लोगों को तरसना पड़ता है. यहीं वजह है कि नदी का गंदा पानी पीना पड़ता है. बता दें कि ग्राम तुमला आदिवासी बाहुल्य गांव है, जो ओडिशा बॉर्डर से सटा हुआ है. और जशपुर जिले के अंतिम छोर में बसा हुआ है. शायद यही वजह है कि यहां चुनाव के समय वोट मांगने वाले नेताओं के अलावा कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचता.
समस्या की नहीं हो रही कोई सुनवाई
स्थानीय जनप्रतिनिधि बताते है गांव में पानी की समस्या है. इस बात को कई बार जनसमस्या शिविर में रखा गया. लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. चुनाव के समय नेता आते है और ये कहकर जाते है कि बोर करवा देंगे. लेकिन अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हुआ. वहीं एबीपी न्यूज ने ग्रामीणों की इस समस्या को लेकर पीएचई विभाग के अधिकारियों से बात की, वो एक दो दिन के अंदर गांव में व्याप्त पानी की समस्या का समाधान करने की बात कह रहे है.
पीएचई विभाग का क्या कहना है
पीएचई विभाग के ईई वीके उरमलिया ने बताया कि ग्राम पंचायत तुमला का आश्रित ग्राम है मकरीबंधा. उसका एक मोहल्ला है पाकरी टोली, जो नदी किनारे बसा हुआ है. अभी वहां हैंपपंप नहीं है और आठ घर है. काफी दूर दूर में घर है, फैला हुआ गांव है. हम कोशिश करेंगे से एक दो दिन में वहां बोर हो जाए. अभी वहां ग्रामीणों को समझाइश दिया गया है कि जो पानी पी रहे है उसे उबालकर पिएं.
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