Jashpur News: छत्तीसगढ़ के जशपुर (Jaspur) जिला मुख्यालय में 19 फरवरी को उरांव समाज (Oraon Society) ने बड़ी रैली और आमसभा कर शक्ति प्रदर्शन किया था. उरांव एकता महासम्मेलन में डिलिस्टिंग, धर्मान्तरण और सौसरिया उरांव जनजाति को मात्रात्मक त्रुटि के कारण आरक्षण का लाभ न मिल पाने का मुद्दा भी सभा में जोर से उठा. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि झारखंड की पूर्व सांस्कृतिक व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव (Geetashree Oraon) ने डिलिस्टिंग को धर्मांतरित और गैर धर्मान्तरित आदिवासियों के लिए नुकसान दायक बताया था. उन्होंने आदिवासियों के लिए अलग धर्मकोड को पुर्नस्थापित करने की पैरवी की थी. अब कार्यक्रम के आयोजक और उरांव समाज के लोग मुख्य अतिथि के बयान को गलत बता रहे हैं. उन्होंने मंत्री के बयान को उनका निजी विचार बताते हुए इस पर असहमति जताई है.
जानिए, क्या कहा था गीताश्री उरांव ने
दरअसल, झारखंड की पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा था कि डिलिस्टिंग से धर्मान्तरित आदिवासियों के साथ हिंदू उरांव भी प्रभावित होगें, क्योंकि आगामी जनगणना के प्रपत्र से सातवां कालम हटा दिया गया है. इस कालम में जनजातीय मान्यताओं को दर्ज किया जाता था. उन्होनें, इसे आदिवासियों की मूल पहचान को मिटाने का प्रयास बताया. गीताश्री ने कहा था कि डिलिस्टिंग पूरी तरह से राजनैतिक षड्यंत्र है. आदिवासी हिंदू नहीं हैं, कहकर आदिवासियों के कोड को ही विलोपित कर दिया गया है. आदिवासियों को हिंदू बता कर, उन्हें विशेष कानूनी अधिकारों से वंचित करने के लिए षड़यंत्र किया जा रहा है.
अलग धर्म कोड की भी की थी मांग
गीताश्री उरांव ने कहा था कि आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड, ब्रिटिश शासनकाल से लेकर 2018 तक रहा है. इसे पुर्नस्थापित करने के लिए लगातार प्रयास चल रहा है और आगे भी चलता रहेगा. अब इस बयान पर कार्यक्रम के आयोजक और जशपुर उराँव समाज ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके उनके बयान पर आपत्ति जताई है. उनके बयान को उनका निजी विचार बताया है. आयोजकों ने कहा कि उरांव समाज उनके बयान से कोई सरोकार नहीं रखता है. उरांव समाज के नेता उमेश प्रधान ने कहा कि 19 फरवरी को उरांव समाज एकता महासम्मेलन आयोजित किया गया था. यह केवल सामाजिक कार्यक्रम था. किसी विशेष मुद्दे को लेकर कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया था. मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री रहे, इन्होंने डीलिस्टिंग को लेकर बयान दिया है. ये उनका निजी मामला है. हम उनकी बातों का खंडन करते हैं, ये हमारा सामाजिक कार्यक्रम था. हमने हिंदू विरोधी बातों को लेकर ये कार्यक्रम आयोजित नहीं किया था.
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