Jhiram Ghati Naxal Attack 11th Anniversary: देश के सबसे बड़े नक्सली हमले को आज 11 साल बीत चुके हैं. झीरम नरसंहार की 11वीं बरसी पर शनिवार को जगदलपुर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. बस्तर लोकसभा के कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा ने लालबाग में बने झीरम घाटी शहीद स्मारक पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. कांग्रेसी नेताओं ने दिवंगत महेंद्र कर्मा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. कवासी लखमा ने कहा कि 11 साल बाद भी झीरम के घाव नहीं भरे हैं.


नक्सली हमले में मारे गए कांग्रेसियों और जवानों के परिवार वालों को न्याय नहीं मिल सका है. उन्होंने कहा कि झीरम घाटी नक्सल कांड की जांच रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गयी. घटना की सच्चाई जानने के लिए दोनों सरकारों ने 5 से ज्यादा न्यायिक जांच दल गठित किये थे. कवासी लखमा ने आरोप लगाया कि सभी जांच राजनीतिक षड्यंत्र की भेट चढ़ गई. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार झीरम कांड की सच्चाई जनता के सामने उजागर नहीं करना चाहती.




झीरम नरसंहार की 11वीं बरसी 


कांग्रेस सरकार में गठित एसआईटी जांच के खिलाफ तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष धर्मलाल कौशिक हाईकोर्ट पहुंच गये. हाईकोर्ट ने एसआईटी जांच पर स्टे लगा दिया. बता दें कि 25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी नक्सली हमले में तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल समेत 27 नेताओं और 4 जवान शहीद हो गये थे. प्रत्याशी कवासी लखमा ने कहा कि कांग्रेस के काफिले को सुरक्षा नहीं मिली. रोड ओपनिंग पार्टी भी नहीं लगाई गयी. झीरम घाटी नक्सली हमले में मारे गए कांग्रेसी नेताओ और जवानों को आज तक न्याय नहीं मिल सका है.




अब तक हरे हैं पीड़ितों के जख्म


वरिष्ठ पत्रकार मनीष गुप्ता का कहना है कि 11 साल राजनीतिक षड्यंत्र और घटना के पीछे की वजहों को तलाशते गुजर गया. सियासी नफा नुकसान के बीच सच्चाई का पता लगाने की कोशिशों में एक इंच का भी इजाफा नहीं हुआ. हमले के पीछे क्या नक्सली थे या सुनियोजित षड्यंत्र था? हमले से नक्सलियों को क्या हासिल हुआ? आखिर कांग्रेस के नेताओं को निशाना क्यों बनाया गया? अब तक सार्थक जवाब जनता के सामने नहीं आए हैं. घटना के बाद दोनों सरकारों को जनता ने मौका दिया. राजनीतिक दलों की तरफ से अब तक कोई ठोस साक्ष्य नहीं रखे जा सके हैं.


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