Chhattisgarh: कांगेर वैली नेशनल पार्क में बर्ड सर्वे की शुरुआत, इस बार मिल सकती हैं पक्षियों की ज्यादा प्रजातियां
Kanger Valley National Park: छत्तीसगढ़ का कांगेर वैली नेशनल पार्क अपनी जैव विविधता, भूमिगत लाइमस्टोन की गुफाएं, मनमोहक झरने और स्थानीय आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है.
Kanger Valley National Park Bird Survey: बस्तर (Bastar) में मौजूद कांगेर वैली नेशनल पार्क (Kanger Valley National Park) में बर्ड सर्वे ( Bird Survey) की शुरुआत की गई है. कांगेर वैली नेशनल पार्क प्रबंधन, सर्वे बर्ड काउंट ऑफ इंडिया और बर्ड एंड वाइल्डलाइफ छत्तीसगढ़ के द्वारा संयुक्त रूप से इसका आयोजन किया जा रहा है. इस तीन दिवसीय बर्ड सर्वे में नौ राज्यों से 100 से अधिक प्रतिभागी हिस्से लेने पहुंचे हैं. इसमें बर्ड सर्वे का कार्य किया जाना है.
संपूर्ण कांगेर वैली नेशनल पार्क और बस्तर वन मंडल के माचकोट रेंज में अलग-अलग सर्वे के लिए 33 ट्रेल तैयार किए गए हैं, जिसमें मैना मित्र, वन विभाग के कर्मचारी और स्थानीय ईको विकास समिति के सदस्य सभी बाहर से आए पक्षी प्रेमियों को गाइड करेंगे. कांगेर वैली नेशनल पार्क के डायरेक्टर गणवीर धम्मशील ने जानकारी देते हुए बताया कि, यहां बर्ड सर्वे की शुरुआत की गई है. इस कार्य में देश के नौ राज्यों से लगभग 100 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए हैं.
तीन दिन तक होगा बर्ड सर्वे
कांगेर वैली नेशनल पार्क के डायरेक्टर ने बताया कि, इसमें कोलकाता, महाराष्ट्र ,मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के गिधवा परसदा वेटलैंड से भी प्रतिभागी पहुंचे हुए हैं. तीन दिन तक होने वाले इस बर्ड सर्वे के लिए 33 ट्रेल तैयार किए गए हैं. इस बर्ड सर्वे के शुभारंभ कार्यक्रम में किस प्रकार सर्वे किया जाना है, इसकी जानकारी बर्ड काउंट इंडिया संस्था के सदस्य हकीमुद्दीन सैफी द्वारा दी गई. इसके अलावा सोनू अरोरा बर्ड एंड वाइल्डलाइफ छत्तीसगढ़ के द्वारा भी सर्वे कार्य की जानकारी दी गई.
कांगेर वैली नेशनल पार्क इन चीजों के लिए प्रसिद्ध
डायरेक्टर गणवीर धम्मशील ने बताया कि, शुभारंभ के मौके पर अतिथियों के द्वारा कांगेर वैली की पहली सर्वे रिपोर्ट और स्टेट ऑफ इंडिया बर्ड पोस्टर का विमोचन भी किया गया. यह नेशनल पार्क अपनी जैव विविधता, भूमिगत लाइमस्टोन की गुफाएं, मनमोहक झरने और स्थानीय आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है. यहां अनेक प्रजाति के पक्षियों की गणना के लिए इस साल भी पक्षियों का सर्वे किया जा रहा है. इस साल कांगेर घाटी में पिछले साल की तुलना में पक्षियों की अधिक प्रजातियां मिलने की संभावना है.
कांकेर वैली नेशनल पार्क के डायरेक्टर गणवीर धम्मशील ने बताया कि इस बार लैंडस्केप बेस्ड अप्रोच को ध्यान में रखते हुए आसपास के क्षेत्र को सर्वे कार्य हेतु जोड़ा गया है, ताकि और अधिक पक्षियों की पहचान की जा सके. कांगेर वैली नेशनल पार्क से लगे हुए माचकोट और तिरिया के जंगल भी जैव विविधता के लिए जाने जाते हैं. यहां की जैव विविधता को जानने के लिए इस बार इस क्षेत्र को भी सर्वे में जोड़ा गया है. सर्वे के माध्यम से काउंट किया जाएगा कि यहां कौन-कौन से प्रजाति के पक्षी हैं और उनकी संख्या कितनी है.