Chhattisgarh News: कांगेर वैली नेशनल पार्क में प्राकृतिक संसाधनों से संवरेगी स्थानीय ग्रामीणों की जिंदगी, प्रबंधन का ये है नया प्लान
Chhattisgarh: कांगेर वैली नेशनल पार्क में स्थानीय ग्रामीणों का दखल बढ़ता जा रहा है. पार्क के अंदर वनों को नुकसान पहुचने के साथ लघु वनोपज का संग्रहण करने भी ग्रामीण इस क्षेत्र में पहुंच रहे हैं.
Kanger Valley National Park: बस्तर (Bastar) जिले में मौजूद कांगेर वैली नेशनल पार्क (Kanger Valley National Park) में स्थानीय ग्रामीणों के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए पार्क प्रबंधन एक यूनिक और नई पहल शुरू करने जा रहा है. इस पहल का नाम कांगेर वैली लैंड्सकैप आधारित पुनर्स्थापना दिया गया है. इस योजना के तहत पार्क के प्रबंधकों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों को पुनर्जीवित करने का काम किया जाएगा.
दरअसल, नैसर्गिक सौंदर्य, खूबसूरत वादियों सहित कई पर्यटन स्थलों को अपने अंदर समेटे बस्तर के कांगेर वैली नेशनल पार्क में स्थानीय ग्रामीणों का दखल बढ़ता जा रहा है. पार्क के अंदर वनों को नुकसान पहुचने के साथ लघु वनोपज का संग्रहण करने भी ग्रामीण इस क्षेत्र में पहुंच रहे हैं. ऐसे में पार्क प्रबंधकों और एनजीओ के द्वारा नई योजना बनाई गई है, जिससे ग्रामीण इस पार्क में हस्तक्षेप ना बढ़े और एक पार्क के एक विशेष क्षेत्र ग्रामीण वनों से अपने जरूरी संसाधनों को इक्कठे कर सकें. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के संचालक गणवीर धम्मशील ने बताया कि नेशनल पार्क का एरिया करीब 200 वर्ग किलोमीटर है. इस उद्यान के आसपास भी जंगल लगे हुए हैं.
कांगेर वैली नेशनल पार्क में बढ़ रहा ग्रामीणों का दबाव
अक्सर यह देखने को मिल रहा है कि वनों से मिलने वाले प्राकृतिक संसाधनों पर अलग-अलग प्रकार के दबाव बढ़ते जा रहे हैं. कई लोग लघु वनोपज संग्रहण करने आ रहे हैं, तो कई लोग जलाऊ लकड़ी के लिए, मवेशी चराने के लिए और ग्रामीण खेती के लिए जमीन पर अतिक्रमण कर रहे हैं. इन सभी चीजों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. इन दबावों को नेशनल पार्क के बाहरी क्षेत्र में रोकने के लिए एक कार्य योजना बनायी गयी है. इस कार्य के लिए कांगेर नाला के पूरे कैचमेंट एरिया को लिया गया है.
यह एरिया करीब 2000 वर्ग मीटर का है. इस एरिया में दरभा, तोकापाल और जगदलपुर ब्लॉक शामिल हैं. इन ब्लॉकों में 200 से अधिक गांव आ रहे हैं. इन गांवों में विभिन्न सरकारी विभागों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है, जिनमें सामाजिक वानिकी, उद्यानिकी विभाग, मनरेगा विभाग, एग्रीकल्चर विभाग शामिल हैं. इसके अलावा अलग अलग पांच-छह संस्थाएं काम कर रही हैं. इन सभी के साथ मिलकर काम किया जा रहा है.
पार्क के आसपास वृक्षारोपण को दिया जाएगा बढ़ावा
इस कार्ययोजना के अंतर्गत एग्रो फॉरेस्ट्री को बढ़ावा देते हुए पार्क के आसपास वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि जैवविविधता स्थापित की जा सके. साथ ही कृषि के क्षेत्र में ऑर्गेनिक खेती को भी बढ़ावा दिया जाएगा. इसके अलावा जल और मृदा संरक्षण का काम किया जाएगा. ग्रामीणों के आजीविका के लिये भी काम किया जाएगा. इसमें पर्यटन से लेकर अन्य कार्य शामिल हैं. इन सारी कार्य योजना से बढ़ते दबाव को बाहरी क्षेत्रों में रोकने की कोशिश की जाएगी.
इस कार्ययोजना के लिए सभी विभागों के अधिकारियों के साथ पहली बैठक की गई है. इसके अलावा एक कार्यशाला भी आयोजित की गई है, जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी, समुदाय के सदस्य, सामाजिक संगठन, स्थानीय नागरिक, और विभिन्न गांव के सरपंच भी मौजूद रहे.