Bastar News: बस्तर जिले में मौजूद कांगेर वैली नेशनल पार्क (Kanger Valley National Park) में वन विभाग के अधिकारियों द्वारा भारी भ्रष्टाचार करने का मामला सामने आया है. इस मामले में ग्रामीणों ने कोलेंग वन परिक्षेत्र के अधिकारी और सहायक अधिकारी के साथ ही बीटगार्ड्स पर शासन के लाखों रुपये गबन करने का आरोप लगाया है. बताया जा रहा है कि नेशनल पार्क के कोलेंग वन परिक्षेत्र के काचीररास, मुंडागढ़ और कोलेंग गांव के रहने वाले ग्रामीणों के बैंक खाते में नेशनल पार्क के अधिकारियों ने बिना कोई कार्य किए ऑनलाइन भुगतान किया, जिसके बाद विभाग के अधिकारी और कर्मचारी खुद उन तक पहुंचे और उन्हें अपने गाड़ी में बैठाकर बैंक ले गए और उनके खाते से पैसे निकलवाकर खुद बंदरबांट कर लिया.
ग्रामीणों ने बताया कि गांव के आसपास पौधारोपण का कार्य करने और लेनटेना उन्मूलन कार्य के तहत झाड़ियों की साफ सफाई के लिए जारी शासकीय फंड का दुरुपयोग कर वन परिक्षेत्र अधिकारी और सहायक वन परिक्षेत्र अधिकारी समेत इस क्षेत्र के बिटगार्डस ने लाखों रुपये डकार लिए हैं. हालांकि अब इस मामले की जानकारी मिलने के बाद वन विभाग के बड़े अधिकारियों ने पूरे मामले की जांच कराकर ग्रामीणों को कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है. दरअसल, कांगेर वैली नेशनल पार्क के कोलेंग वन परिक्षेत्र में लेनटेना उन्मूलन कार्य के तहत पिछले तीन सालों से कार्य किए जाने की बात कही जा रही है.
50 से अधिक ग्रामीणों के खाते में बिना काम के पैसे डलवाए
इस कार्य योजना के तहत पार्क के भीतर काचीररास , मुंडागढ़ और कोलेंग वन परिक्षेत्र में झाड़ियों की सफाई करनी होती है, ताकि इस नेशनल पार्क में प्राकृतिक सौंदर्य बने रहने के साथ किसी भी जहरीले पौधे को खाकर यहां के जीव जंतु बीमार ना पड़ें. इसका खास ख्याल रखने के लिए हर साल शासन लाखों रुपये लेनटेना उन्मूलन कार्य के लिए बजट जारी करता है. कोलेंग क्षेत्र के ग्रामीणों ने एबीपी न्यूज को बताया कि यह कार्य पिछले साल से नहीं हो रहा है. कुछ जगहों पर खाना पूर्ति की जा रही है, लेकिन उनको अब यहां रोजगार नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने बताया कि इस कोलेंग क्षेत्र के वन परिक्षेत्र अधिकारी दिनेश रवानी, सहायक वन परिक्षेत्र अधिकारी राजपूत और बीटगार्डस ने ग्रामीणों को अपने भरोसे में लेते हुए करीब 50 से अधिक ग्रामीणों के खाते में बिना काम के पैसे डलवाए.
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कोई काम नहीं किया है, लेकिन वो वन विभाग के पुराने खातेदार हैं. ऐसे में उनके खाते का इस्तेमाल कर बिना काम के रकम डाली गई और फिर अधिकारी और कर्मचारियों ने उनके पास पहुंचकर उन पैसों को वापस मांगा और इसके लिए बकायदा अपने साथ गाड़ी में बैंक ले जाकर उनके खाते में डाले गए शासन के पैसे निकाल लिए और पैसों का बंदरबांट कर लिया. ग्रामीणों ने बताया कि जब उन्होंने इसकी जानकारी मांगी तो उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं बताया गया. ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 50 लोगों के खाते में 332 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया गया. किसी ग्रामीण के खाते में 30 दिन तो किसी के खाते में 23 दिन, 22 दिन, 15 दिन और 14 दिन अलग-अलग दिनों के हिसाब से भुगतान उनके खाते में डाला गया.
सीसीएफ ने कहा जांच के बाद होगी कार्रवाई
अब ग्रामीण चाहते हैं कि जिन्होंने भी शासन के पैसों का बंदबांट किया है, उनकी जांचकर कर इस मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. इधर वाइल्ड लाइफ के सीसीएफ राजेश पांडे ने इस तरह के मामले को गंभीर बताते हुए एबीपी न्यूज जांच की बात कही है. सीसीएफ राजेश पांडे ने कहा कि बिना कार्य के ग्रामीणों को भुगतान करना और उसके बाद अधिकारियों के द्वारा उनके खाते से पैसे निकाल लेना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है. इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी अधिकारी कर्मचारी होंगे उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
बता दें बस्तर का कांगेर वैली नेशनल पार्क नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण है. इस पार्क में कई वॉटरफॉल्स, कहीं गुफाएं, कई जंगली जीव जंतु , विभिन्न प्रकार के पक्षी और विलुप्त प्रजाति के जीव पाए जाते हैं. साथ ही छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना भी कांगेर वैली नेशनल पार्क में बहुतायात में मौजूद हैं. इस नेशनल पार्क में घूमने के लिए हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक बस्तर पहुंचते हैं, जिसे देखते हुए विभाग के द्वारा इसका संरक्षण और संवर्धन किया जा रहा है, लेकिन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ही ग्रामीणों के रोजगार पर डाका डालकर शासन और ग्रामीणों को चूना लगा रहे हैं. फिलहाल अब देखना होगा कि इस मामले के संज्ञान में आने के बाद वन विभाग के बड़े अधिकारी इन अधिकारियों पर क्या कार्रवाई करते हैं.