Kanker News: छत्तीसगढ़  (Chhattisgarh) के कांकेर (Kanker) जिले के पखांजूर में एक हुई शादी पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बन गई है. यहां दूल्हा अपनी दुल्हनिया को लेने हेलीकॉप्टर या लग्जरी कार से नहीं बल्कि बैलगाड़ी से पहुंचा. इस दौरान दूल्हे ने अपनी बैलगाड़ी बारात को यादगार बनाने के लिए ड्रोन शॉट भी बनवाया. अब इसका वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है. यही नहीं हर तरफ  जमकर इस शादी की तारीफ भी हो रही है.


दरअसल दूल्हा बने शंभूनाथ सलाम बड़गांव सर्कल के क्षेत्रीय गोंडवाना समाज के अध्यक्ष हैं. चांदी के आभूषण के साथ धोती कमीज और पारंपरिक वेशभूषा में सजे दूल्हे ने अपनी बारात को यादगार बनाने के लिए और बस्तर की पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए अपनी दुल्हनिया को लेने बैलगाड़ी में बारात निकाली. इस दौरान सभी बाराती एक- दो नहीं बल्कि 12 बैल गाड़ियों में सवार होकर ढोल नगाड़ो के साथ दुल्हन के घर पहुंचे. इस बारात को जिसने भी देखा वह देखता ही रह गया.


 



 


लोगों ने भी जमकर तारीफ
यही नहीं देसी अंदाज में निकली इस बारात का लोगों ने जमकर सराहना भी की. लोगों ने कहा कि  शंभूनाथ ने आधुनिकता के जमाने में अपनी शादी में परंपराओं का पालन कर मिसाल पेश की है. बारात शुक्रवार दोपहर पिपली गांव से करकापाल के लिए निकली और शाम 5 बजे पखांजूर पहुंची. इसके बाद रीति-रिवाजों के साथ वैवाहिक कार्यक्रम शुरू हुआ. इस दौरान जिस रास्ते से यह बारात गुजरी वहां पर लोगों ने अपने दरवाजे, खिड़की और छत पर खड़े होकर इसका नजारा बखूबी देखा. मॉडर्न जमाने में देशी अंदाज की बारात को देखकर बुजुर्गों ने भी अपने पुराने समय को याद किया. इस पुरानी परंपरा को देखकर लोग बहुत खुश नजर आए. 


गांव के लोगों ने कहा शंभूनाथ की जड़ों की ओर लौटने की यह पहल आदिवासी युवाओं को निश्चित ही अपनी परंपरा की ओर लौटने के लिए प्रेरित करेगी. साथ ही यह बारात आज की खर्चीली शादियों से बचने के लिए एक मिसाल के तौर पर जानी जाएगी. खास बात यह है कि इस शादी में आदिवासी समाज के सभी प्रमुख मौजूद रहे. वहीं सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी सियाराम पुड़ो ने कहा कि शंभूनाथ का यह प्रयास आने वाली पीढ़ी को सामाजिक दिशा देने का बेहतर तरीका है. उन्हें गर्व है कि आज के युग में भी युवा पीढ़ी के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को ना भूलते हुए उन्हें सुरक्षित रखने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी को प्रेरित भी कर रहे हैं.


दूल्हे ने क्या कहा
वहीं दूल्हा शंभूनाथ सलाम ने कहा कि बैलगाड़ी पर बारात की हमारी पुरानी परंपरा है. इसमें फिजूल खर्च नहीं होता. आदिवासी परंपरा और संस्कृति को आगे बढ़ाना भी हमारा उद्देश्य है, इसलिए शादी की हर रस्म को मैनें छत्तीसगढ़िया संस्कृति के नाम कर दिया. दूल्हे ने कहा कि आधुनिकता के इस युग में प्राचीन और छत्तीसगढ़ी की परंपरा विलुप्त होती जा रही है, जिसे संजोकर और सुरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है. सामाजिक पदाधिकारी होने के नाते मैंने अपना कर्तव्य निभाया है, ताकि आने वाले पीढ़ी के लोग भी आधुनिकरण से हटकर अपनी पुरानी परंपरा और रीति-रिवाजो को ना भूलें. 


दुल्हन ने जताई खुशी
वहीं दुल्हन सरिता ने कहा कि शंभूनाथ ने बैलगाड़ी से बारात लाकर और विवाह में छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बढ़ावा देकर एक बेहतर सामाजिक कार्य का परिचय दिया है, जिससे उन्हें काफी खुशी मिली है. हर दुल्हन चाहती है कि उसका होने वाला दूल्हा उन्हें लेने हेलीकॉप्टर से या लग्जरी कार से पहुंचे, लेकिन उन्हें गर्व है कि उनके पति ने समाज के  पदाधिकारी होने के साथ ही बस्तरिया होने का अपना पूरा कर्तव्य निभाया और अपनी संस्कृति को जीवित रखते हुए उन्हें लेने बैलगाड़ी में पहुंचे.


वहीं बड़ेझाड़कट्टा गांव के किसानों ने दर्जनों बैल गाड़िया उपलब्ध कराकर शंभूनाथ की शादी को यादगार बना दिया. बैलगाड़ी देने वाले किसानों ने बताया कि उन्हें भी बेहद खुशी हुई कि उनकी बैलगाड़ी किसानी कार्य के साथ छत्तीसगढ़ी संस्कृति को पुर्नजन्म दिलाने के एक प्रयास में कामगार साबित हुई है.


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