Kanker Naxal Encounter: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ अब तक के सबसे बड़े नक्सल ऑपरेशन में एक साथ 29 नक्सलियों को मार गिराने में कांकेर पुलिस और सीमा सुरक्षा बल ( BSF)के जवानो को बड़ी सफलता हाथ लगी है, इस मुठभेड़ में बीएसएफ और DRG के जवानों ने बहादुरी का परिचय देते हुए नक्सलियों के सबसे सेफ जोन में ऑपरेशन लॉन्च कर माओवादी संगठन को बड़ा नुकसान पहुंचाया, और 29 नक्सलियों को मार गिराया.
इस मुठभेड़ की बस्तर से लेकर पूरे देश भर में चर्चा है , इन हार्डकोर नक्सलियों को मुठभेड़ में ढेर करने वाले जवानों में सबसे ज्यादा चर्चा छत्तीसगढ़ पुलिस में सेवा दे रहे इंस्पेक्टर लक्ष्मण केवट का है, जिन्हें बस्तर में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से जाना जाता है.
लक्ष्मण केवट पखांजूर थाना के प्रभारी और DRG के प्रभारी हैं, दरअसल लक्ष्मण केवट ने ही इस ऑपरेशन में DRG के जवानों को लीड किया, जिसमें DRG जवानों में एक कैजुअल्टी में 29 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराने में सफलता हासिल हुई.
एबीपी लाइव की इस खास रिपोर्ट में जानिए कौन है लक्ष्मण केवट, आखिर उन्हें किस वजह से 6 बार राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
12 सालों में 6 बार राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार से हुए सम्मानित
सन 2012 से छत्तीसगढ़ पुलिस में अपनी सेवा देने वाले लक्ष्मण केवट की पहली पोस्टिंग आरक्षक के पद पर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में हुई और यहीं से उन्हें नक्सल ऑपरेशन में जाने का मौका मिला, कई बार लक्ष्मण केवट का नक्सलियों से आमना सामना हुआ और एनकाउंटर में माहिर लक्ष्मण ने कई इनामी नक्सली को मुठभेड़ में ढेर किया, लक्ष्मण केवट ने बताया कि 12 साल के नौकरी में उन्होंने अब तक 34 नक्सलियों का एनकाउंटर किया है, यही वजह है की उन्हें इतने लंबे समय तक नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सेवा देने की वजह से आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला और अभी वे छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर हैं और कांकेर जिले के पखांजूर में थाना प्रभारी के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं.
लक्ष्मण केवट बताइ वारदात की पुरी कहानी
लक्ष्मण ने बताया कि कैसे कांकेर जिले के छोटे बेठीयां में 29 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराने में सफलता मिली, एबीपी लाइव से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि कांकेर जिले में दूसरे चरण में मतदान को देखते हुए नक्सली मतदान के दिन नुकसान पहुंचाने की फिराक में लगातार छोटे बेठिया और परतापुर इलाके में मूवमेंट करने की जानकारी मिली, चुकी नक्सली विधानसभा चुनाव में भी इसी इलाके में आईटी ब्लास्ट की घटना को अंजाम दिए थे, जिसमें एक जवान शहीद हुआ था.
इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार भी नक्सलियों के द्वारा कोई बड़ी घटना करने के फिराक में इस इलाके में सक्रिय होने की जानकारी मुखबिरी से मिली, इसकी जानकारी कांकेर एसपी को दी गई और उसके बाद बीएसएफ के जवानों के साथ एक ऑपरेशन लॉन्च किया गया.
नक्सलियों को भगाने की पूरी कोशिश की
पुख्ता सबूत मिलने के बाद में वे DRG जवानों को लीड करते हुए कोरोनार और बिनागुंडा के बीच हापाटोला घटनास्थल पहुंचे, उन्होंने बताया कि हालांकि यहां तक पहुंचना काफी मुश्किलों से भरा था, क्योंकि नक्सलियों ने जगह-जगह आईईडी प्लांट कर रखे थे और कई जगह आईईडी ब्लास्ट भी हुआ, लेकिन गनीमत रही कि डीआरजी का कोई भी जवान आईईडी के चपेट में नहीं आया.
उन्होंने बताया कि नक्सलियों के जवानों की आने की पहले ही उनके स्मॉल एक्शन की टीम से सूचना मिल गई थी, और उनके स्मॉल एक्शन की टीम पटाखा फोड़कर इन नक्सलियों को भगाने की पूरी कोशिश में लग गई थी, लेकिन एक तरफ से बीएसएफ के जवानों ने और दूसरी तरफ वे खुद DRG के जवानों के साथ नक्सलियों को घेरना शुरू किया.
सुबह 11 से शाम 4:00 बजे तक चली मुठभेर
उसके बाद बकायदा वहां मौजूद नक्सलियों को सरेंडर करने को कहा गया, लेकिन नक्सलियों की ओर से पहली फायरिंग हुई और दुर्भाग्य से गोली बीएसएफ के इंस्पेक्टर रमेश चौधरी को लगी, उसके बाद दोनों और से फायरिंग चली.
लक्ष्मण केवट ने बताया कि मंगलवार सुबह 11 से शुरू हुई फायरिंग शाम को लगभग 4:00 बजे तक चली , इसके बाद घने जंगल और ऊंची पहाड़ों का सहारा लेकर कुछ नक्सली मौके से तो भाग निकले, लेकिन मुठभेड़ थमने के बाद सर्चिंग के दौरान 29 नक्सलियों का शव बरामद किया गया, साथ ही मौके से 30 हथियार और नक्सलियों का विस्फोटक सामान भी बरामद किया गया. इस मुठभेड़ में बीएसएफ के 2 और DRG का एक जवान घायल हुआ.
34 नक्सलियो का अब तक कर चुके है एंनकॉउंटर
लक्ष्मण केवट ने बताया कि पिछले 12 साल से नक्सल प्रभावित इलाकों में पोस्टिंग की वजह से वह नक्सलियों के रणनीति को भलि भांति जानने लगे है.
हालांकि आज भी इन क्षेत्रों में भौगोलिक जानकारी नक्सलियों के पास ज्यादा है, लेकिन उनका सौभाग्य रहा कि जितने भी नक्सल ऑपरेशन में उनकी ड्यूटी लगी सभी मुठभेड़ों में उन्हें सफलता मिली, और अब तक अलग-अलग मुठभेड़ में उन्होंने 34 नक्सलियों का एनकाउंटर किया है, इस वजह से उन्हें 6 बार राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. लक्ष्मण केवट ने एबीपी लाइव से कहा कि आगे भी वे बस्तर से नक्सलवाद के खात्मे के लिए नक्सल ऑपरेशन में जाते रहेंगे और अपना फर्ज निभाते रहेंगे.
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