Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में स्कूली बच्चे जर्जर भवनों में पढ़ने को मजबूर हैं. जिले में 21 माध्यमिक समेत 85 स्कूल भवन पूरी तरह से जर्जर हैं. स्कूल प्रशासन का कहना है कि कई बार इसके मरम्मत के लिए पैसों की मांग करने के बावजूद राज्य शासन  की तरफ से अब तक पैसा नहीं मिला है. इसके चलते बरसात के मौसम में बच्चे जर्जर भवनों में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. कुछ स्कूलों में तो कक्षाएं भी नहीं लग रही है. इन स्कूलों की हालत देखकर ग्रामीण और शिक्षक स्कूल मरम्मत या नए भवन निर्माण की मांग को लेकर शासन प्रशासन से लगातार गुहार लगा रहे हैं.


जिले के इतने स्कूलों का हाल बुरा


अब तक इन मांगों को पूरा नहीं किया जा सका है, हालांकि शिक्षा विभाग ने पोटा केबिन स्कूल का निर्माण कुछ जगहों पर करवा दिया है लेकिन पोटाकेबिन स्कूलों की भी हालत 2 से 3 साल में बद से बदतर हो चुकी है, जिस वजह शिक्षक यहां भी बच्चों को बैठने से मना कर रहे हैं. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में 1600 प्राथमिक शाला और 610 माध्यमिक शाला वर्तमान में संचालित हो रहे हैं. उसमें से लगभग 65 प्राथमिक और 21 माध्यमिक शाला भवन पूरी तरह से जर्जर हैं. जर्जर स्कूलों की मरम्मत के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी छत्तीसगढ़ सरकार को हर साल प्रस्ताव भेज रहे हैं. 


शिक्षा विभाग के अधिकारी ने ये बताया


इसके बावजूद अब तक राज्य सरकार की ओर से इन स्कूलों के मरम्मत के लिए पैसा नहीं मिल सका है. शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया कि पिछले साल लगभग एक करोड़ 40 लाख की राशि जर्जर स्कूलों की मरम्मत के लिए सरकार से मांग की गई थी, लेकिन सरकार की तरफ से कोई भी राशि नहीं भेजी गई. शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि शासन से मरम्मत राशि नहीं मिलने के कारण कुछ स्कूल भवनों में कक्षाएं भी नहीं लग पा रही है. यही हाल लगभग जिले के सभी ब्लॉक का है जहां स्कूल भवनों की हालत बेहद खराब है और सरकार इन स्कूलों के मरम्मत के लिए बिल्कुल भी गंभीर नहीं है.


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