Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में कांकेर प्रशासन की अनदेखी के कारण ग्रामीणों ने समस्या का समाधान खुद कर लिया. ग्रामीण पिछले 15 वर्षों से नाले पर पुल की मांग करते चले आ रहे हैं. अधिकारियों ने ग्रामीणों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया. अब उन्होंने जुगाड़ से देसी पुल बना डाला है. 4 पिल्हर के सहारे बनाया गया यह पुल चर्चा का विषय बन गया.
बता दें कि मंघर्रा नाला ग्राम परवी और खड़का को जोड़ता है. वर्ष 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह से ग्रामीणों ने मंघर्रा नाले पर पुल निर्माण की मांग की थी. रमन सिंह ने ग्रामीणों को पुल निर्माण का आश्वासन दिया था.
कांग्रेस सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुल निर्माण की घोषणा भी कर दी थी, लेकिन पुल नहीं बन पाया. दो मुख्यमंत्रियों से निराश ग्रामीणों ने पुल निर्माण का खुद बीड़ा उठाया. खड़का, भुरका और जलहुर के ग्रामीणों ने बैठक की. बैठक में तीनों गांवों के ग्रामीणों ने ठान लिया कि खुद पुल तैयार करेंगे.
बांस-बल्लियों की मदद से श्रमदान कर ग्रामीणों ने कच्चा पुल तैयार किया. कच्चे पुल को बनाने में दो दिनों का वक्त लगा. पहले दिन पुल की मजबूती के लिए 4 पिल्हर तैयार किये. लकड़ियों को अंदर तक मजबूती से फंसाकर बांस का गोलघेरा बनाया. गोलघेरा में बड़े-छोटे पत्थरों को डालकर मजबूत किया गया.
ग्रामीणों ने जुगाड़ से तैयार किया देसी पुल
ऊपर मोटी लकड़ियां, पेड़ की डालियां, तार और बांस के टुकड़ों से पुल बनाकर तैयार किया. पुल निर्माण के बाद अब बाइक सवार भी आसानी से आवागमन कर सकते हैं. देसी जुगाड़ का पुल, इंजीनियरिंग की अलग ही परिभाषा बतला रहा है.
ग्रामीणों का कहना है कि पुल के अभाव में भारी परेशानी हो रही थी. लोग जान जोखिम में डालकर नाला को पार करना पड़ता था. बाइक सहित अन्य सामान को कंधे पर डालकर आवागमन करना पड़ता था. बारिश के 4 महीने किसी मुसीबत से कम नहीं रहते. पुल के बनने से अब 45 किलोमीटर का सफर 10 किलोमीटर कम हो गया है.
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