(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
माउंट एवरेस्ट शिखर फतेह करने निकले छत्तीसगढ़ के पर्वतारोही बंशीलाल नेताम की मौत, बना चुके हैं विश्व रिकॉर्ड
Banshilal Netam Passes Away: दर्जनों मुठभेड़ में शामिल बंशीलाल की गोली का शिकार कई नक्सली हो चुके हैं. छत्तीसगढ़ पुलिस में साथी जवान भी बंशीलाल के अचूक निशाने का लोहा मानते हैं.
Mountaineer Banshilal Netam Passes Away: साइकिलिंग में विश्व रिकॉर्ड बना चुके एथलीट और पर्वतारोही बंशीलाल नेताम का निधन हो गया. बंशीलाल नेताम छत्तीसगढ़ पुलिस में कमांडो ट्रेनर थे. वीर जवान की अचानक मौत से कांकेर समेत छत्तीसगढ़ में शोक की लहर दौड़ गयी. 20 मई को माउंट एवरेस्ट पर बंशीलाल हादसे का शिकार हो गये थे. इलाज के लिए नेपाल ले जाया गया. एचएएमएस अस्पताल के आईसीयू में भर्ती बंशीलाल ने सोमवार दोपहर 3 बजे अंतिम सांस ली.
अप्रैल महीने में माउंट एवरेस्ट शिखर 8850+ मीटर) फतह करने के लिए बंशीलाल नेपाल गये थे. उन्होंने 19 मई को 6400 मीटर तक की चढ़ाई पूरी कर ली थी. 20 मई को माउंट एवरेस्ट पर हादसा हो गया. घायल बंशीलाल का नेपाल के अस्पताल में इलाज चल रहा था.
विश्व रिकॉर्ड बनाने से पहले बंशीलाल नेताम बाइक से दो बार भारत का भ्रमण कर चुके थे. उन्होंने लंबे समय तक नक्सल मोर्चे पर सेवाएं दी थी. हेड कांस्टेबल रहे बंशीलाल ने बीजापुर सहित दक्षिण बस्तर कांकेर के कई संवेदनशील इलाके में नक्सली मोर्चे पर काम किया था.
पर्वतारोही बंशीलाल नेताम का निधन
दर्जनों मुठभेड़ में शामिल बंशीलाल की गोली का शिकार कई नक्सली हो चुके हैं. साथी जवान भी बंशीलाल के अचूक निशाने का लोहा मानते हैं. दिल्ली में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड से नवाजे जाने पर उन्होंने छत्तीसगढ़ पुलिस का झंडा लहराना नहीं भूला. कार्यक्रम में शामिल लोगों ने बंशीलाल के समर्पण की काफी तारीफ की थी. कांकेर शहर के कोदाभाट निवासी बंशीलाल नेताम ने साइकिलिंग में वर्ल्ड रिकार्ड तोड़ दिया था.
कांकेर समेत राज्य में शोक की लहर
उत्तराखंड स्थित कालानाग पर्वत फतेह करने वाले बंशीलाल नेताम छत्तीसगढ़ के पहले व्यक्ति बने थे. उन्होंने 11 दिन तक माइनस 15 डिग्री तापमान में 6 हजार मीटर से भी अधिक की चढ़ाई पूरी की थी. बंशीलाल कांकेर के ग्रामीण बच्चों को पर्वतारोहण की मुफ्त ट्रेंनिग भी देते थे. अचनाक निधन की खबर से छत्तीसगढ़ पुलिस में मातम पसर गया. बताया जा रहा है कि कल मंगलवार को बंशीलाल का पार्थिव शरीर कांकेर स्थित पैतृक गांव लाया जाएगा. पैतृक गांव में बंशीलाल को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी.
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