(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bastar News: बादल संस्था को मिली परीक्षा केंद्र की मान्यता, अब छात्र इन विषयों में कर सकते हैं डिप्लोमा कोर्स
छत्तीसगढ़ के बस्तर के बच्चे अब संगीत में डिप्लोमा कर सकते हैं. खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय ने बादल संस्था को परीक्षा केंद्र की मान्यता दे दी है. यहां सभी पाठ्यक्रमों में 2 साल का डिप्लोमा कोर्स होगा.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी अब खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय के तर्ज पर बस्तर के छात्र बादल (बस्तर एकेडमी ऑफ डांस आर्ट एंड लिटरेचर) संस्था में भी संगीत की पढ़ाई कर सकेंगे. इसके लिए खैरागढ़ विश्वविद्यालय के डिप्लोमा प्राप्त अनुभवी शिक्षक बस्तर संभाग के छात्रों को संगीत से जुड़ी सभी पाठ्यक्रमों की शिक्षा देंगे. लंबे समय से बादल संस्था को खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय से परीक्षा केंद्र की मान्यता देने की मांग की जा रही थी और आखिरकार खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय ने बादल संस्था को इसकी मान्यता दे दी है.
इसके साथ अब बस्तर के छात्र भी गायन, तबला वादन, शास्त्रीय सुगम संगीत, लोक संगीत और चित्रकला आर्ट एप्रिसीएशन के साथ ही लोक चित्रकला का प्रशिक्षण ले सकेंगे. इन सभी पाठ्यक्रमों पर 2 साल का डिप्लोमा कोर्स होगा. खास बात यह है कि इन सभी पाठ्यक्रमों का अध्यापन खैरागढ़ से डिप्लोमा डिग्री प्राप्त अनुभवी शिक्षकों द्वारा कराया जाएगा. दरअसल, जगदलपुर शहर के आसना में मौजूद इस बादल संस्था में शाला प्रवेश उत्सव मनाया गया.
अब तक इस संस्था में बस्तर और कोंडागांव जिले के कुल 60 छात्रों ने एडमिशन लिया है. सोमवार को बस्तर के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा के मौजूदगी में शाला प्रवेश उत्सव मनाया गया. अब बस्तर के शहरी और आदिवासी अंचलों के छात्र भी संगीत के क्षेत्र में शिक्षा लेकर अपने राज्य और देश का नाम रोशन कर सकेंगे.
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क्या कहा बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार ने?
बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि बादल संस्था में बस्तर के पारंपरिक लोक संस्कृति यहां की बोली, यहां के लोकल व्यंजन और आदिवासी वेशभूषा के साथ यहां के पारम्परिक नृत्य को संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है. जिसके तहत सभी आदिवासी समाज के प्रमुख बकायदा बादल संस्था में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. बस्तर की संस्कृति, आदिवासी परंपरा को बचाए रखने के लिए यह जिला प्रशासन का प्रयास है.
खैरागढ़ विश्वविद्यालय से मान्यता मिलने के बाद अब बस्तर के छात्रों को भी संगीत के विषयों पर और अपनी परंपराओं को बचाए रखने के लिए संगीत विश्वविद्यालय से परीक्षा केंद्र की मान्यता भी मिल गयी है. इस मान्यता के तहत छात्रों को दो साल का डिप्लोमा कोर्स करवाया जा रहा है. जिसमें तबला वादन, शास्त्रीय संगीत, लोक चित्रकला और लोक संगीत को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. फिलहाल, बस्तर और कोंडागांव जिले के 60 छात्र बादल संस्थान में एडमिशन ले चुके हैं. वहीं बस्तर संभाग के अन्य बच्चों को भी संगीत के विषयों में डिप्लोमा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.