Kharmas: खरमास 16 दिसंबर से शुरू हो चुका है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, सूर्य हर राशि में एक महीने तक गोचर करते हैं. वहीं जब सूर्य राशि बदलकर धनु राशि में प्रवेश करतें है तो खरमास लग जाता है. इसे धनु संक्रांति भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनु राशि बृहस्पति की आग्नेय राशि है और इसमें सूर्य का प्रवेश विशेष परिणाम देता है. जिसमें शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.


धार्मिक मान्यता के अनुसार खरमास में सूर्यदेव की पूजा-उपासना करने से जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि प्रवेश करती है. खरमास में व्यक्ति को दान-पुण्य करने से पुण्यों में वृद्धि होती है. इसके साथ ही जीवन में आने वाले संकट दूर होने लगते हैं. ज्योतिषीय शास्त्र के मुताबिक साल में दो बार खरमास आता है.


खरमास में नहीं करें ये कार्य



  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास में शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं.

  • इस दौरान जनेऊ, लगन, गृह प्रवेश और मुंडन जैसे मांगलिक कार्य भी नहीं किए जाते हैं.

  • इसके साथ ही नया घर या वाहन आदि नहीं खरीदे जाते हैं.


खरमास में इन कार्यों की नहीं होती मनाही


1. खरमास में व्यक्ति अन्नप्राशन, जातकर्म और सीमान्त जैसे कार्य करने की मनाही नहीं है. इस दौरान आप ये कार्य कर सकते हैं.
2. खरमास के दौरान व्यक्ति अपनी नियमित पूजा-पाठ या दान आदि धार्मिक कार्य कर सकता है. ऐसे कार्यों में खरमास का कोई बंधन नहीं माना जाता है.


3. इस दौरान अगर कोई व्यक्ति गया में जाकर अपने पितरों का श्राद्ध कर्म या तर्पण करना चाहे तो कर सकता है. खरमास में ये कार्य किए जा सकते हैं.


खरमास में क्यों नहीं किए जाते मंगल कार्य?


खरमास में द्विरागमन, कर्णवेध और मुंडन जैसे मंगल कार्य करने की मनाही होती है. क्योंकि खरमास में धनु राशि यानी अग्नि भाव में सूर्य होते हैं जिससे की स्थितियों को बिगाड़ते हैं. इसलिए इस दौरान नए कार्य खासकर मांगलिक और कोई नया रोजगार या कारोबार शुरू से संबंधित कार्यों की मनाही होती है.


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