Raipur News: हम सभी इस बात को बखूबी जानते हैं कि घड़ी की सूइयां हमेशा लेफ्ट से राइट की दिशा में घूमती हैं, लेकिन आज हम आपको ऐसी घड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी सूइयां राइट से लेफ्ट दिशा में घूमती हैं. इसलिए इस घड़ी को उल्टा घड़ी भी कहा जाता है. आइए जानते हैं इस उल्टा घड़ी की खासियत और इससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में....


गोंड आदिवासियों का गोंडवाना समयचक्र 
दरअसल छत्तीसगढ़ में गोंड आदिवासी बड़ी संख्या में रहते हैं. इन्हीं आदिवासियों ने गोंडवाना समयचक्र बनाया है, जिसे उल्टी घड़ी कहा जाता है. यह घड़ी सामान्य घड़ी से विपरीत दिशा में घूमती है. इसको लेकर आदिवासियों की मान्यता है कि ये प्राकृतिक घड़ी है. उनका कहना है कि ब्रम्हांड में ग्रह नक्षत्र की दिशा में ही घड़ी राइट से लेफ्ट साइड घूमती है. सूर्य की परिक्रमा भी ग्रह राइट से लेफ्ट की ओर करते हैं. इसलिए आदिवासी उल्टी घड़ी यानी एंटी क्लॉक वाइज घड़ी का इस्तेमाल करते हैं. प्रकृति से जुड़े रहने के लिए इस घड़ी का निर्माण 1980 में किया गया था. 




सामान्य घड़ी के विपरीत दिशा में होते खेती किसानी के कार्य
आदिवासी ज्वाला परते ने बताया कि किसान सैकड़ों वर्षों से खेती किसानी करते आ रहे हैं. यहां खेती किसानी इसी उल्टी घड़ी के हिसाब से की जाती है. मिंजाई के लिए बेलन हो या फिर खेत की जुताई. गोंड आदिवासी उल्टी घड़ी के हिसाब से ही सारे काम करते हैं. उन्होंने कहा कि धान को चावल बनाने के लिए आज भी किसान जाता का इस्तेमाल करते हैं. जाता दो गोलाकार पत्थर से बना होता है. नीचे के हिस्से में मोटा पत्थर और ऊपर के हिस्से में थोड़ा हल्का पत्थर रखा जाता है. दोनों के बीच में एक छेद होता है जिसमें से एक डंडे को जमीन के अंदर तक गाड़ दिया जाता है जिससे जाता वहां से हिल ना पाए और पत्थर घर्षण कर सके. घर्षक की दिशा भी एंटी क्लॉक वाइज होती है. अगर सामान्य घड़ी की दिशा में जाता को घुमाया जाए तो अनाज की पिसाई नहीं हो पाएगी.


इसलिए करते है उल्टा घड़ी का इस्तेमाल
गोंड आदिवासियों का कहना है कि हमारा शरीर प्रकृति तत्वों से ही बना है जिसमें प्रकृति के पूरे संरचनात्मक तत्व समाहित हैं. शरीर में संचालित होने वाली ऊर्जा ब्रह्मांड के ग्रह नक्षत्रों की ऊर्जा से प्रभावित है. राइट से लेफ्ट की तरफ घूमने में कम ऊर्जा लगती है. इसलिए मनुष्य के सीधे हाथ में ज्यादा बल होता है.


यह घड़ी सही दिशा में जीवन जीने की सीख देती है


प्रकृति की पूजा करने वाले गोंड आदिवासियों का कहना है कि प्रकृति का चक्र जिस दिशा में चल रहा है, उस दिशा के विपरीत आदिवासी नहीं चल सकते. इस घड़ी से जीवन जीने का विधान तैयार किया गया है. यह घड़ी केवल आदिवासियों को ही नहीं सम्पूर्णं मानव जाति को सही दिशा में जीवन जीने की सीख देती है. उनका कहना है कि आज विकास की अंधी दौड़ के कारण संपूर्ण मानव जाति जानबूझकर या अनजाने में अमानवीय तरीके से ब्रह्मांड को गंभीर क्षति पहुंचा रही है. बढ़ते मानवीय सुख के साधन की लालसा और घटते प्राकृतिक संसाधनों के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है.


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