Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) संभाग में लगातार पुलिस के जवानों द्वारा आत्महत्या (Suicide) करने के मामले बढ़ते ही जा रहा हैं. सप्ताह भर पहले ही नारायणपुर में एक जवान ने अपने बैरक में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. वहीं रविवार देर शाम को भी कोंडागांव (Kondagaon) जिले के धनोरा थाना में पदस्थ सहायक आरक्षक सजेंद्र ठाकुर ने अपने सर्विस राइफल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली है. हालांकि इस आत्महत्या के पीछे जवान का प्रेम प्रसंग का मामला बताया जा रहा है लेकिन अब तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है. 


मौके पर पहुंचे बड़े अधिकारी
वहीं पुलिस (Kondagaon Police) आत्महत्या के कारणों का पता लगाने में जुटी हुई है. बताया जा रहा है कि थाना कैम्पस में ही मौजूद रूम में जवान ने अपनी सर्विस राइफल को गर्दन में खुद को गोली मार ली जिससे जवान की मौके पर ही मौत हो गई. घटना की जानकारी मिलते के बाद तुरंत मौके पर कोंडागांव के एसपी दिव्यांग पटेल, केशकाल के एसडीओपी और तहसीलदार के साथ धनोरा थाना प्रभारी ने मौके पर पहुंच कर घटनास्थल का जायजा लिया.


जवान की मां ने क्या बताया
मृत जवान सजेंद्र ठाकुर की मां से मिली जानकारी के मुताबिक सजेंद्र ठाकुर पहले से ही शादीशुदा था और उसका एक बच्चा भी है लेकिन धनोरा में रहते हुए उसे किसी अन्य लड़की से प्यार हो गया और कुछ महीनों से दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चल रहा था, जिसके कारण सजेंद्र करीब 2 से 3 महीने अपने घर नहीं गया था. इसी बात को समझाने को लेकर जवान की मां रविवार देर शाम को धनोरा पहुंची और धनोरा कैंपस में ही मौजूद जवान के रूम में उसकी मां समझा रही थी, लेकिन जवान अपनी मां की एक भी बात नहीं सुन रहा था और अपनी मां को रूम से बाहर जाने को कहा. जैसे ही जवान की मां बाहर गई तो तत्काल आरक्षक सजेंद्र ठाकुर ने अपने पास रखे सर्विस रायफल को अपने गर्दन में रखकर गोली मारकर आत्महत्या कर ली. 


गोली चलने की आवाज सुनकर तत्काल आसपास मौजूद पुलिसकर्मी और धनोरा थाना प्रभारी जवान के रूम में पहुंचे लेकिन तब तक आरक्षक सजेंद्र की मौत हो चुकी थी. इधर कोंडागांव के एसपी दिव्यांग पटेल ने भी मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का जायजा लिया और आत्महत्या की गंभीरता से जांच करने का निर्देश दिया. फिलहाल पुलिस ने आरक्षक के शव को पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया है और मामले की जांच कर रही है. 


बढ़ रहे आत्महत्या के मामले
गौरतलब है कि बस्तर में नक्सल मोर्चे पर पुलिस कैम्प, थाना और चौकीयों में तैनात जवान पारिवारिक मामले और तनाव के चलते सबसे ज्यादा आत्महत्या कर रहे हैं. इनमें जिला पुलिस बल और अर्धसैनिक बल के जवान शामिल हैं. जवानों द्वारा आत्महत्या को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन किसी प्रकार से जवानों को समझा नहीं पा रहे हैं और बस्तर में इस प्रकार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं.


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