Farmer Success Story: फसल की देखभाल के लिए 7 करोड़ का हेलीकॉप्टर खरीद रहा किसान, सालाना 25 करोड़ का है टर्न ओवर
नक्सल प्रभावित जिले में रहने वाले एक किसान अपने खेत के देखभाल के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं. लगभग 1000 एकड़ में खेती की देखभाल के लिए 7 करोड़ रुपये का हेलीकॉप्टर उन्होंपे पसंद किया है.
Bastar News: देश के सर्वश्रेष्ठ किसान सम्मान से नवाजे गए छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कोंडागांव जिले के रहने वाले उन्नत किसान राजाराम त्रिपाठी (Rajaram Tripathi) अपने एक हजार एकड़ खेती की देखभाल के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं. राजाराम त्रिपाठी प्रदेश के पहले ऐसे किसान हैं जो हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं. 7 करोड़ की लागत से खरीदे जा रहे हेलीकॉप्टर के लिए उन्होंने हॉलैंड की रॉबिन्सन कंपनी से डील भी कर ली है. साल भर के अंदर उनके पास R-44 मॉडल की 4 सीटर हेलीकॉप्टर भी आ जाएगा.
सफेद मूसली, काली मिर्च और जड़ी बूटियों की खेती करने के साथ मां दंतेश्वरी हर्बल समूह का संचालन करने वाले किसान राजाराम त्रिपाठी पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. हाल ही में उन्हें करीब 400 आदिवासी परिवार के साथ 1000 एकड़ में सामूहिक खेती करने और यह खेती सफल होने की वजह से उन्हें सम्मान भी किया गया था. उन्हें जैविक खेती के लिए भी कई बार राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है. वहीं अब अपने खेती किसानी में एक और इतिहास रचते हुए 7 करोड़ की लागत से हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं.
बैंक की नौकरी छोड़ कर बन गए किसान
बस्तर के किसान राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि उनका पूरा परिवार खेती-बाड़ी पर निर्भर है. कई साल पहले अपनी बैंक की नौकरी छोड़ वे लंबे समय से खेती-बाड़ी करते आ रहे हैं. साथ ही वे मां दंतेश्वरी हर्बल समूह का भी संचालन कर रहे हैं. बस्तर में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों की खेती कर इसे बढ़ावा देने के साथ ही पूरे प्रदेश में बड़े स्तर पर इकलौते सफेद मुसली की खेती करते आ रहे हैं. राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि उनके समूह द्वारा यूरोपीय और अमेरिकी देशों में काली मिर्च का भी निर्यात किया जा रहा है. अब अपनी लगभग एक हजार एकड़ खेती की देखभाल के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं.
कैसे आया हेलीकॉप्टर से खेती का आइडिया?
उन्होंने बताया कि अपने इंग्लैंड और जर्मनी प्रवास के दौरान वहां उन्होंने देखा कि दवा और खाद के छिड़काव के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग हो रहा है, और काफी बेहतर तरीके से इसका रिजल्ट भी मिल रहा है, बस इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने अपने किसान समूह के 1 हजार एकड़ के साथ आसपास के खेती वाले इलाकों में हेलीकॉप्टर से ही खेतो की देखभाल करने की ठानी और हेलीकॉप्टर खरीदने का पूरी तरह से मन बना लिया और हॉलैंड की रॉबिंसन कंपनी से डील भी कर लिया. राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि वे कस्टमाइज हेलीकॉप्टर बनवा रहे हैं ताकि इसमें मशीन भी लगवाई जा सकें. उन्होंने बताया कि फसल लेते समय कई प्रकार के कीड़े फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, और हाथों से दवा छिड़काव से भी कई जगह दवा छूट जाते हैं, जिससे कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है. हेलीकॉप्टर से दवा छिड़काव से पर्याप्त मात्रा में फसलों में दवा डाला जा सकता है, जिससे फसलों को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा.
बेटा और भाई हेलीकॉप्टर उड़ाने का ले रहे प्रशिक्षण
राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि हेलीकॉप्टर के पायलट के लिए उनके छोटे भाई और बेटे को हेलीकॉप्टर उड़ाने की प्रशिक्षण के लिए उज्जैन में स्थित उड्डयन अकादमी भेजने की तैयारी हो चुकी है, जहां से वे प्रशिक्षण लेने के बाद हेलीकॉप्टर से उनकी खेती की देखभाल करेंगे. उन्होंने बताया कि बस्तर में किसान की छवि नई पीढ़ी को खेती किसानी के लिए प्रेरित नहीं कर सकती. नई पीढ़ी के युवा आईटी कंपनी में नौकरी कर सकते हैं लेकिन वह खेती को उद्यम बनाने का प्रयास नहीं करते. इसी सोच को बदलने के लिए वह हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं. ताकि युवा पीढ़ी में खेती किसानी को लेकर एक सकारात्मक सोच बन सके.
सालाना 25 करोड़ रुपये का टर्न ओवर
उन्होंने बताया कि उनके भाई और बच्चे भी नौकरी ना कर खेती किसानी कर रहे हैं और खेती बाड़ी से उनका काफी लगावभी है. उनके खेती-बाड़ी और दंतेश्वरी हर्बल समूह से उनका सालाना टर्न ओवर करीब 25 करोड़ रुपए है. अब उनके साथ साथ आसपास के आदिवासी किसान भी उन्नत किसान के श्रेणी में आ गए हैं, और उनके द्वारा भी हर्बल प्रोडक्ट का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें सफेद मूसली और बस्तर की जड़ी बूटी भी शामिल है. गौरतलब है कि उनके यही सोच की वजह से और खेती किसानी के लिए किए जा रहे हैं नए नए प्रयास और उससे मिल रही सफलता की वजह से राजाराम त्रिपाठी चार बार सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं.