Kondagaon News: छत्तीसगढ़ की इस अदालत में लगती है देवी-देवताओं की क्लॉस, तत्काल फैसला सुनाकर मिलती है दोषी को सजा
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में देवताओं की अदालत लगती है जहां दोषी देवताओं को सजा सुनाई जाती है. यह सजा न्यायाधीश भंगाराम देवी द्वारा सुनाया जाता है.
![Kondagaon News: छत्तीसगढ़ की इस अदालत में लगती है देवी-देवताओं की क्लॉस, तत्काल फैसला सुनाकर मिलती है दोषी को सजा Kondagaon in Kondagaon district god court held Chhattisgarh where guilty gods are sentenced ANN Kondagaon News: छत्तीसगढ़ की इस अदालत में लगती है देवी-देवताओं की क्लॉस, तत्काल फैसला सुनाकर मिलती है दोषी को सजा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/08/22/7a387c41d471ddbb8be339ed4a00b20b1661136665264449_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के केशकाल में हर साल देवताओं की अदालत बैठती है. इस अदालत के न्यायाधीश भंगाराम देवी होती हैं. जो बकायदा फैसला सुनाती हैं और यहां दोषी देवताओं को जेल भेजने की भी परंपरा है. शनिवार को केशकाल के टाटामारी मार्ग में भंगाराम देवी दरबार पर विश्व प्रसिद्ध भादो जात्रा का आयोजन संपन्न हुआ जिसमें 9 परगना यानी कि 9 गांव के देवी देवता शामिल हुए. इस दौरान बंजारी माता कुंवरपाठ बाबा और नरसिंह नाथ के समक्ष 9 गांव के देवी देवताओं के साल भर के कार्यों का लेखा-जोखा हुआ और देवी-देवताओं को उनके ठीक कार्य नहीं करने पर और दोषी सिद्ध होने पर अपराध के तौर पर सजा का सामना भी करना पड़ा.
6 शनिवार तक होती है विशेष पूजा, 7 वें शनिवार को लगता है दरबार
दरअसल, बस्तर के आदिम संस्कृति में कई व्यवस्थाएं ऐसी हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते. जिन देवी देवताओं की पूरी आस्था के साथ पूजा अर्चना की जाती है. उन्हीं देवी देवताओं को भक्तों की शिकायत के आधार पर सजा भी मिलती है. हर साल भादो पक्ष महीने के कृष्ण पक्ष के शनिवार के दिन भादो जात्रा का आयोजन किया जाता है. जात्रा के पहले हर सप्ताह के 6 शनिवार को यहां देवी देवताओं की सेवा (विशेष पूजा) अर्चना की जाती है और सातवें अंतिम शनिवार को जात्रा का आयोजन होता है. अंतिम दिन आसपास के गांवो के 9 परगना के देवी देवता के अलावा पुजारी, सिरहा, गुनिया, मांझी, गायता और मुखिया भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं. इसकी खास बात ये भी है कि जात्रा के दिन भंगाराम माई के दरबार पर युवतियों और महिलाओं का आना प्रतिबंधित होता है.
सालों से चली आ रही है यह परंपरा
बस्तर के कोयवंशी मुरिया गोंडवाना समाज के जिलाध्यक्ष मनहेर कोर्राम ने बताया कि जिस प्रकार से देश मे कानून व्यवस्था है और कोर्ट कचहरी होती है जहां फैसला सुनाकर दोषियों को सजा मिलती है और किसी शासकीय सेवक को ठीक से काम न करने पर सजा के रूप में निलंबन या बर्खास्तगी की सजा दी जाती है. उसी तरह यहां भी देवी देवताओं को दोष सिद्ध होने पर सजा दी जाती है. सालों से यह परंपरा बस्तर में चली आ रही है, और आगे भी जारी रहेगी.
केशकाल में हर साल होने वाले भंगाराम माई के दरबार में इस बार माथा टेकने कोंडागांव कलेक्टर दीपक सोनी और एसपी दिव्यांग पटेल, समेत पूरा प्रशासनिक अमला मौजूद रहा, कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि वर्षों से चली आ रही विश्व प्रसिद्ध भंगाराम माई की जात्रा में शामिल होने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ है. इस तरह की अनोखी परंपरा उन्हें पहली बार देखने को मिली है. जो केवल बस्तर में ही देखी जा सकती है. उन्होंने कहा कि इस जात्रा को भव्य रूप से मनाया जा सके और यहां पहुंचने वाले भक्तों को किसी तरह की परेशानी ना हो इसके लिए आने वाले सालों में व्यवस्था और दुरुस्त की जाएगी.
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![अनिल चमड़िया](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/4baddd0e52bfe72802d9f1be015c414b.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)