Kondgaon Throat operation: छत्तीसगढ़ के कोंडागांव (Kondgaon ) में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया है. चार साल के एक मासूम ने सप्ताह भर जिंदगी से जंग लड़कर आखिरकार जानलेवा पड़ाव को पार कर ही लिया. अब मासूम ने जिंदगी की जंग जीत ली है. वह खतरे से बाहर है. दरअसल कोंडागांव जिले के केशकाल में रहने वाले चार साल के दामोदर के परिवारवालों के उस वक्त होश उड़ गए जब उन्हें पता चला कि उनके 4 साल के मासूम बच्चे के गले में खुली सेफ्टी पिन फंसी है.
सप्ताह भर तक परिवार वालों को इसकी भनक तक नहीं लगी. दामोदर मानसिक रूप से कमजोर है. इसके चलते वह परिवार वाले को भी नहीं समझा पाया और गले में दर्द होने का इशारा ही करता रहा. केशकाल के स्वास्थ केंद्र से लेकर कोंडागांव जिले के डॉक्टरों तक को दिखाने के बावजूद किसी को भी आभास तक नहीं हुआ कि दामोदर के गले में ढाई इंच की खुली सेफ्टी पिन फंसी हुई है. हताश होकर दामोदर का परिवार उसे लेकर जगदलपुर डिमरापाल के सरकारी अस्पताल पहुंचा, जहां डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू किया. एमआरआई कराने के बाद गले का एक्सरे कराने पर पता चला कि दामोदर के गले में खुली सेफ्टी पिन फंसी हुई है. इसके बाद दामोदर का ऑपरेशन शुरू किया गया.
एक्सरे करने के बाद साफ हुई स्थिति
जगदलपुर डीमरापाल अस्पताल के ईएनटी विभाग के डॉक्टर हेमंत ने बताया कि दामोदर के परिवार वाले उसे लेकर अस्पताल पहुंचे थे. बताया कि सप्ताह भर से बच्चा गले में दर्द होने का इशारा कर रहा है. इसकी वजह से उसे बुखार भी आ गया गया है. ऐसे में इसे गंभीर समस्या बताते हुए बच्चे की एमआरआई करायी गयी. इकसे बाद एक्स-रे. जैसे ही स्थिति साफ हुई कि गले में सेफ्टी पिन फंसी है, उसे बाहर निकालने के लिए प्रयास शुरू किए गए.
इसके लिए ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया, क्योंकि गले में फंसी सेफ्टी पिन खुली हुई थी. इसलिए गलती की गुंजाइश बिल्कुल नहीं थी.इसोफेगोस्कोपी रिमूवल ऑफ फॉरेन बॉडी यानी कि इसे निकालने के लिए ऑपरेशन शुरू किया गया. इसके बाद बच्चे की जान बच गई.
दो घंटे चला ऑपरेशन
बच्चे का ऑपरेशन करीब दो घंटे तक चला. डॉ हेमंत ने बताया कि उन्होंने खुद और एनिस्थिसिया डॉक्टर जी प्रताप राव ने करीब दो घंटे तक बच्चे के गले की सर्जरी की. इसके बाद ही सेफ्टी पिन को सुरक्षित बाहर निकाला गया. उन्होंने बताया कि बच्चे के गले में करीब ढाई इंच का सेफ्टी पिन फंसा हुआ था. इस ऑपरेशन के बाद करीब तीन दिन तक बच्चे की मॉनिटरिंग की गई. अब दामोदर पूरी तरह से स्वस्थ है. उसके परिवार वालों ने भी राहत की सांस ली है.
परिजनों ने डॉक्टरों का जताया आभार
दामोदर के परिवार वालों ने बताया कि दामोदर मानसिक रूप से कमजोर है. एक हफ्ते पहले उसने गले में दर्द की बात बतायी. सामान्य समस्या समझते हुए परिवार वालों ने उसका केशकाल के स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक इलाज शुरू करवाया, लेकिन राहत नहीं मिली. इसके बाद कोंडागांव के जिला अस्पताल पहुंचे, लेकिन यहां भी बच्चे को राहत नहीं मिली. इस बीच दर्द बढ़ता ही जा रहा था.
इसी दौरान वे जगदलपुर के डिमरापाल अस्पताल पहुंचे. यहां डॉक्टरों ने एमआरआई की सलाह दी. रिपोर्ट में कुछ मेटल सा नजर आया. इसके बाद एक्सरे निकाला गया, तब जाकर तस्वीर साफ हुई कि गले में सेफ्टी पिन फंसी है. वह भी खुली हुई है. लेकिन, डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन कर सावधानी पूर्वक मासूम के गले से खुली सेफ्टी पिन निकाल दी है. इसके लिए परिवार वालों ने डॉक्टरों का धन्यवाद किया है.
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