Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के इस जिले की अनोखी परंपरा, वर-वधु को शादी में मिलते हैं 21 जहरीले सांप, जानें वजह
Korba Tradition: दरअसल, संवरा जनजाति के लिए सांप ही रोजी-रोटी का जरिया होते हैं. इसलिए वर-वधु को शादी में जहरीले सांप दिए जाते हैं. बिना इसके शादी पूरी नहीं मानी जाती है.
Korba News: हमारा देश न केवल जाति धर्म और संप्रदाय के मामले में विविधता रखता है बल्कि अलग-अलग समुदाय की परंपराएं भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. भारत में शादियों में भी अलग-अलग परंपराएं देखी जाती हैं. इसका उदाहरण छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक समुदाय है, जहां दहेज में वर-वधु को जहरीले सांप दिए जाते हैं. कोरबा जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर स्थित गांव मुकुंदपुर में संवरा सपेरा जनजाति निवासरत है. संवरा जाति की परंपरा है कि इनके यहां विवाह के दौरान दहेज के तौर पर जहरीले सांप दिए जाते हैं.
खास बात यह है कि संवरा जनजाति में यदि दहेज में सांप नहीं दिया गया तो शादी संपन्न नहीं मानी जाती. यही वजह है कि इस जनजाति के लोग भले ही किसी से सांप मांगकर उसे दहेज में दें, लेकिन यह परंपरा उन्हें निभानी ही पड़ती है. ग्रामीणों ने बताया कि पहले दहेज में 2 से लेकर 10 सांप तक भेंट में दिए जाते थे, लेकिन समय के साथ इनकी संख्या में इजाफा हुआ और वर्तमान में 21 सांप दहेज के रुप में अवश्य दिए जाते हैं. जब तक उनकी व्यवस्था नहीं हो जाती जब तक शादी को टाल दिया जाता है.
ग्रामीणों ने दहेज में सांप देने की प्रथा के बारे में बताया संवरा जनजाति में सांप रोजी-रोटी कमाने का जरिया है. यह लोग रोजगार के लिए सांपों पर आश्रित हैं और सांप दिखाकर अपने परिवार का पेट पालते हैं. इस जनजाति के लोगों की यह पुश्तैनी परंपरा है, जिसके चलते जनजाति के बुजुर्गों ने दहेज में सांप देने की परंपरा बनाई थी, जो आज भी बदस्तूर जारी है.
आजीविका का साधन
दरअसल, इसकी वजह यह है कि दहेज में मिले सांपों से सपेरा समुदाय के लोग अपना परिवार पाल सकते हैं. भले ही सपेरा समुदाय के लोग चार पैसे कमाने के लिए कोई और भी काम करें, लेकिन सांप लेकर घूमना और उससे पैसे कमाना इनकी पुश्तैनी परंपरा है और यही प्रमुख रूप से इनके आजीविका का साधन भी है.