Korba News: जिला कोर्ट ने मेयर के जाति प्रमाण को चुनौती वाली याचिका की खारिज, बीजेपी पार्षद ने की थी शिकायत
Korba Mayor News: पार्षद रितु चौरसिया और BJP नेता अशोक चावलानी ने कांग्रेस मेयर के जाति प्रमाण पत्र की वैधता को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 3 साल तक चले मामले में जिला कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.
Korba District Court News: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव पहले कोरबा में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. कोरबा जिले के महापौर की जाति के खिलाफ बीजेपी पार्षद ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस मामले में बीजेपी लगातार आक्रमक तेवर अपनाये हुए थी. तीन साल बाद कोर्ट ने मेयर के जाति प्रमाण पत्र को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. इस फैसले से कांग्रेस मेयर राज किशोर प्रसाद ने राहत की सांस ली है.
नगर पालिक निगम कोरबा में 10 जनवरी 2020 को कांग्रेस के राजकिशोर प्रसाद महापौर निर्वाचित हुए थे. निगम में कुल 67 वार्ड हैं. यहां बीजेपी के पार्षदों की संख्या अधिक है, लेकिन महापौर के निर्वाचन के समय क्रॉस वोटिंग हुई और कांग्रेस के राज किशोर प्रसाद महापौर निर्वाचित हो हुये. हालांकि बीजेपी के पार्षदों की संख्या अधिक होने के बावजूद वे अपना महापौर बनाने में नाकाम रहे थे. महापौर के पद के लिए बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार रही रितु चौरसिया ने हार के बाद, निर्वाचित महापौर राजकिशोर प्रसाद के जाति प्रमाण पत्र को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
बीजेपी की तरफ से कोर्ट में दी गई दो याचिका
इसके लिए बीजेपी पार्षद रितु चौरसिया ने एक चुनावी याचिका कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की थी. गुरुवार (14 सितंबर) को सुनवाई के बाद जिला न्यायधीश ने याचिक को खारिज करते हुए, कांग्रेस महापौर राजकिशोर प्रसाद के जाति प्रमाण पत्र को वैध करार दिया. इस मामले में लगातार तीन साल तक सुनवाई चलती रही, आखिर नें जिला न्यायाधीश डीएल कटकवार ने 14 सितंबर को अपना निर्णय सुनाया. इस मामले में बीजेपी नेता अशोक चावलानी ने भी कोर्ट में एक याचिक दी थी. उनके चुनाव याचिका को कोर्ट ने एक साल बाद ही निरस्त कर दिया था.
कोर्ट ने याचिका पर फैसला देते हुए ये कहा
महापौर की ओर से कोर्ट में पैरवी करने वाले अधिवक्ता संजय शाह ने बताया कि न्यायालय ने चौरसिया की इस चुनाव याचिका को खारिज कर दिया. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ऐसा कोई भी प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे कि महापौर के जाति प्रमाण पत्र को अवैध ठहराया जा सके. कोर्ट ने महापौर के जाति प्रमाण पत्र को वैध करार दिया और इस चुनाव याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट के निर्णय के बाद महापौर के जाति को लेकर सभी चर्चाओं पर पूरी तरह विराम लग चुका है. इससे चुनावी साल में बीजेपी को स्थानीय स्तर पर बड़ा झटका लगा है. इस मामले में महापौर की ओर से हाई कोर्ट के अधिवक्ता निर्मला शुक्ला और कोरबा के अधिवक्ता संजय शाह ने पैरवी की.
फैसले के बाद महापौर ने क्या कहा?
कोर्ट के फैसले के बाद महापौर राजकिशोर प्रसाद ने कहा कि चुनाव में हार के बाद बीजेपी के लोग अपना होश खो बैठे थे. वह लगातार झूठ और गलत तथ्यों का सहारा लेकर विकास कार्यों में व्यवधान उत्पन्न करने का प्रयास कर रहे थे. अब न्यायालय का निर्णय आ चुका है. सत्य परेशान जरूर हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं. यह न्यायालय के निर्णय से एक बार फिर प्रमाणित हो चुका है. बीजेपी के सारे हथकंडे धरे के धरे रह गए और अंत में सत्य की जीत हुई है.