Korba News: हम अपने घर-परिवार, शहर-गांव से चाहे कितने ही दूर क्यों न हों, पर माटी और मातृभूमि की महक हर पल साथ रहती है, जो यह याद दिलाती है कि हम सब भारतीय हैं और इस संस्कृति पर हमें गर्व है. छत्तीसगढ़ के कोरबा की होनहार बिटिया मिताली भी कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश कर रहीं हैं, जिन्होंने सात समंदर पार इंग्लैंड (यूनाइटेड किंगडम) के खूबसूरत शहर लिवरपूल में भारत और भारतीय संस्कृति का उद्घोष कर भगवा ध्वज लहराया. चाहे वह रामलला के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक दिन रहा हो या बीते दिनों शिवाजी महाराज की जयंती का अवसर, उन्होंने अपने साथियों के साथ सांस्कृतिक एकता की ऐसी अनूठी झलक पेश की, मानों अंग्रेजी धरती पर कुछ क्षणों के लिए केसरिया थामें स्वयं भारत मां प्रकट हो गई हों.


स्कूल के दिनों में नगर निगम कोरबा के भारत महोत्सव में देशभक्ति से ओतप्रोत अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुति से मिताली वर्मा लोगों को भाव विभोर कर देती थीं. मिताली वर्तमान में यूनाइटेड किंगडम (यूके) स्थित महानगर मैनचेस्टर में रहकर उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर रहीं हैं. अपनी शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में सतत सक्रिय रहने वाली मिताली अब भी उसी समर्पण से भागीदार बन रही हैं. वह विदेशी धरती पर भी अपने देश की महान संस्कृति विरासत और यहां विविधता की झलक की छटा बिखेरने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं. 


मिताली ने दी शिवाजी महाराज पर नाट्य प्रस्तुति
जिनमें अपनी कला साधना और कौशल के माध्यम से सहभागिता देते हुए भारतीयता की अपनी पहचान कायम करने का अवसर छिपा हो. यूके जाने के बाद उन्हें ऐसा पहला अवसर 22 जनवरी को मिला, जब अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई. उस दिन वे भारतीय मित्रों के साथ भगवा ध्वज थामें निकलीं और लिवरपूल की सड़कों पर जय श्रीराम का जयघोष गूंजता रहा. बीते दिनों वहां महाराष्ट्र मंडल के बैनर तले वीर शिवाजी की 394 वीं जयंती मनाई गई, जिसमें शिवाजी महाराज के संघर्ष को प्रदर्शित करते नाट्य में अभियन और नृत्य की प्रस्तुति देकर सभी का मन मोह लिया.


लिवरपूल यूनिवर्सिटी से कर रहीं पीजी 
एमआईटी पुणे से कंप्यूटर साइंस में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) के बाद उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनी में बड़े पैकेज पर एक साल सर्विस किया. इस बीच और आगे की पढ़ाई करने की उनकी कसक बाकी थी. यही वजह रही जॉब ब्रेक कर उन्होंने नया लक्ष्य तय किया. आगे की पढ़ाई का लक्ष्य लेकर उन्होंने यूनाइटेड किंगडम को चुना. करीब 6 माह पहले वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने यूनाइटेड किंगडम के मैनचेस्टर चली गई. वे सितंबर से लिवरपूल यूनिवर्सिटी में पीजी कंप्यूटर साइंस की शिक्षा प्राप्त कर रहीं हैं. अपनी योग्यता के बल पर विदेश में वह कोरबा और छत्तीसगढ़ के साथ भारतवर्ष का नाम कर रहीं हैं.


मिताली हासिल कर चुकी हैं राष्ट्रपति पुरस्कार
मिताली ने क्लास 12वीं तक की शिक्षा केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 एनटीपीसी कोरबा से पूरी की. विद्यार्थी जीवन से ही सेवा और सामाजिक कार्यों में रुचि रखती हैं. उनके सेवाभावी कार्यों का ही परिणाम रहा, जो उन्हें राष्ट्रीय सेवा योजना में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वह साडा कॉलोनी जमनोपाली में रहने वाले केएन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत बोपापुरकर और वैशाली बोपापुरकर की सुपुत्री हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी पुत्री पर गर्व है, जो भारतीय संस्कृति और हिन्दू सभ्यता का विजय पताका सारे विश्व में लहराने की ओर अग्रसर हैं.


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