Korba News: कोरबा जिले का एक ग्रामीण अपने गांव से कोसो दूर ईंट बनाने गया, लेकिन ईंट बनाने में उसका मन नहीं लगा. फिर वह पत्नी और बच्चों को छोड़ गांव लौट गया. इसके महज 15 दिन बाद उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. इससे आहत परिजनों की मुश्किलें कम नहीं हुई. उन्होंने किसी तरह शव को अस्पताल लाने का खर्च तो वहन कर लिया, लेकिन निजी एंबुलेंस के ड्राइवर ने परिवार को गुमराह कर दिया, जिससे अस्पताल परिसर में मुक्तांजलि खड़ी रही और परिजन शव को निजी एंबुलेंस में घर ले गए.
जानकारी के अनुसार, कोरबा जिले के सिविल लाइन थानांतर्गत ग्राम गोढ़ी में त्रिलोकी गेंदले (38 वर्ष) निवास करता था. वह रोजी मजदूरी कर पत्नी और तीन बच्चियों का पालन पोषण करते आ रहा था. त्रिलोकी कुछ माह पहले पत्नी और बच्चियों को लेकर रोजी रोटी की तलाश में पंजाब चला गया. उसने अपनी तीनों बच्चियों को अलग-अलग स्थान पर छोड़ दिया, लेकिन गांव से कोसों दूर ईंट बनाने का काम कर रहे त्रिलोकी का मन नहीं लगा.
मजदूर ने लगाई फांसी
वह पखवाडे भर पहले पत्नी और बच्चों को छोड़कर गांव लौट गया. यहां त्रिलोकी रोजी मजदूरी करने के बजाए नशे में ही डूबा रहा. उसने गुरुवार की सुबह अपने कमरे में फांसी लगा ली, जिसकी जानकारी उसकी आठ वर्षीय बच्ची ने परिजनों को दी. घटना की जानकारी होने पर ग्रामीण मौके पर पहुंचे. उन्होंने दरवाजा खोलकर देखा तो शव फांसी के फंदे पर लटक रहा था. सूचना मिलने पर सिविल लाइन पुलिस ने वैधानिक कार्रवाई के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया.
घटना से परिजन पहले ही आहत थे. उनकी मुश्किलें उस समय और बढ़ गई जब निजी एंबुलेंस के ड्राइवर ने परिवार को गुमराह कर दिया. उसने शव को अस्पताल से घर ले जाने के लिए मुक्तांजलि वाहन के नहीं होने की जानकारी दे दी. इसके बाद परिजन जिस एंबुलेंस से शव को लेकर अस्पताल पहुंचे थे, उसी एंबुलेंस में मजबूरन शव को घर भी ले गए, जबकि पूरी प्रक्रिया के दौरान अस्पताल परिसर में दो मुक्तांजलि वाहन खड़े थे. उनके ड्राइवर भी आसपास ही मौजूद रहे.
अस्पताल में सेवा के नाम पर चल रही लूट
बहरहाल इस घटना ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सेवा के नाम पर पीड़ित परिवारों से मची लूट को उजागर कर दिया है. सूत्रों की मानें तो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दो मुक्तांजलि वाहन उपलब्ध है. दोनों ही वाहन की सेवा 24 घंटे पीड़ित परिवारों को मिल सके, इसके लिए पर्याप्त ड्राइवरों की ड्यूटी भी लगाई गई है. इसके बावजूद अस्पताल परिसर में निजी एंबुलेंस ड्राइवर कुंडली मारकर बैठे हैं.
वो अस्पताल में मौत की खबर मिलते ही परिजनों को गुमराह करने जुट जाते हैं. निजी एंबुलेंस सेवा 24 घंटे उपलब्ध कराई जा रही है. यही कारण है कि बीते चार दिन से सरकारी वाहन को एक भी इवेंट नहीं मिला है.