Korba: अब बर्बाद नहीं होगा भूमिगत खदान से निकलने वाला पानी, ट्रीटमेंट के बाद 23 हजार लोगों की बुझाएगा प्यास
Chhattisgarh News: कोरबा के कोयला खदान का पानी पहले ट्रीट किया जाएगा और उसके बाद 13 गांव के उन लोगों को पानी की आपूर्ति की जाएगी जो अब तक पानी की किल्लत से जूझ रहे थे.
Korba News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोरबा (Korba) जिले में एसईसीएल (SECL) की बंद भूमिगत खदान से निकलने वाला पानी अब व्यर्थ नहीं बहेगा. 32 करोड़ की लागत से जल उपचार संयंत्र स्थापित किया जाएगा. इसके बाद बंद खदान से निकलने वाले पानी का ट्रीटमेंट किया जाएगा जो 13 गांव के लगभग 23 हजार से अधिक लोगों की प्यास बुझाएगा. साथ ही आसपास के किसान खेती में भी इस पानी का इस्तेमाल करेंगे.
भूमिगत और ओपन कास्ट खदान में खुदाई के साथ ही पानी सतह में आने लगता है. इसके लिए हैवी पंप और पाइप लाइन की व्यवस्था की जाती है, ताकि खदान के अंदर का पानी बाहर निकाला जा सके. खदान बंद होने के बाद से प्रबंधन पानी निकालने में सालाना 20 लाख रुपये से अधिक खर्च कर रही थी, लेकिन पानी का उपयोग नहीं हो रहा था. व्यर्थ बह रहे पानी का उपयोग आसपास के कुछ किसान कृषि कार्य के लिए कर रहे थे. अब इस अनुपयोगी पानी का संरक्षण करने महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है.
1994 में शुरू हुआ था खदान
कोरबा जिला मुख्यालय से लगभग 14 किलोमीटर दूर रजगामार क्षेत्र में वर्ष 1994 में यह खदान शुरू हुआ और 7 जुलाई 2011 में कोयले का भंडार कम होने से खदान बंद करना पड़ा. करीब 17 साल तक इस खदान से बी ग्रेड का उत्कृष्ट कोयला एसईसीएल कंपनी को हासिल हुआ.
परीक्षण में पीने योग्य मिला पानी
सूत्रों की मानें तो कोयला खदान बंद होने के बाद भी पिछले 11 साल से अनवरत खदान से पंप के माध्यम से पानी बाहर निकाला जा रहा. साथ ही पेयजल के उपयोग के लिए जल उपयुक्त है या नहीं, इसकी गुणवत्ता की निगरानी पिछले तीन साल से की जा रही है. परीक्षण के दौरान पानी पीने योग्य पाया गया है. अनुबंध के बाद जल्द ही पेयजल आपूर्ति की दिशा में काम शुरू किया जाएगा.
एसईसीएल व राज्य सरकार के बीच हुआ अनुबंध
खदान शुरू होने से आसपास के क्षेत्र का भू-जल स्तर 15 मीटर से अधिक गिर गया. गर्मी में आसपास के कुएं और नाले भी सूख जाते हैं. यहां रहने वाले ग्रामीण खुद का बोर उत्खनन भी नहीं करा सकते, क्योंकि जल स्तर इतना नीचे है कि पानी नहीं निकलता. इस समस्या से अब प्रभावित ग्रामीण को निजात मिल जाएगी. जिस खदान की वजह से पानी की किल्लत झेलनी पड़ी, उसी खदान से अब ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल की सुविधा मिलने वाली है.
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