Chhattisgarh में गजब की शादी: ना डिस्पोजल, ना प्लेट... फिर भी मेहमानों ने कहा वाह! जानें-क्या था खास?
Korea News: विवाह समारोह में आयोजक ने प्लास्टिक का उपयोग प्रतिबंधित किया और इसके बदले मिट्टी और पत्तों के बर्तनों का इस्तेमाल किया. यह क्षेत्र के लोगों में कौतूहल का विषय बना रहा.
Chhattisgarh News: देश को पॉलिथिन मुक्त करने के लिए कई तरह के सरकारी आयोजन किए जाते हैं. रैलियां, जुलूस निकालकर पॉलिथिन (Single Use Plastic) के दुष्प्रभाव बताकर, इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है. इसके बावजूद धड़ल्ले से पॉलिथिन का इस्तेमाल हो रहा है. राशन, सब्जी, या कोई अन्य छोटे बड़े सामान लाना हो, इसके लिए लोग पॉलिथिन या प्लास्टिक के बने उत्पादों का उपयोग करते ही हैं लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरिया (Korea) जिले में शादी घर का संचालन करने वाले शख्स ने पॉलिथिन मुक्त भारत की परिकल्पना को अपना समर्थन ही नहीं दिया, बल्कि एक ही दिन में हजारों लोगों तक पॉलिथिन को लेकर जागरूकता फैलाने का काम किया है.
दरअसल, कोरिया जिले में अनोखे शादी समारोह का आयोजन हुआ. जहां आयोजक के अनूठे प्रयास ने विवाह समारोह में खूब सुर्खियां बटोरी, जो अब चर्चा का विषय बन गया है. इसका कारण प्लास्टिक है. विवाह समारोह में आयोजक ने प्लास्टिक का उपयोग प्रतिबंधित किया और इसके बदले मिट्टी और पत्तों के बर्तनों का इस्तेमाल किया. वैसे तो शादी समारोहों में प्लास्टिक के बर्तन, डिस्पोजल का उपयोग आम बात हो गया है, लेकिन कोरिया में शादी समारोह से प्लास्टिक के बर्तन और डिस्पोजल गायब होना क्षेत्र के लोगों में कौतूहल का विषय बना रहा.
नहीं लिया अतिरिक्त चार्ज
यह अनूठा प्रयास अम्बिकापुर के रहने वाले राजीव पाठक ने किया है. राजीव, कोरिया जिले में शगुन गार्डन नामक शादी घर संचालित करते हैं. उन्होंने लगातार डिस्पोजल और प्लास्टिक के उपयोग से व्यथित होकर मन बनाया कि वे अपने शादी घर में प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करेंगे और पहले विवाह कार्यक्रम में उन्होंने यह कर दिखाया. राजीव पाठक कहते हैं कि इस नवाचार में उन्हें काफी दिक्कत भी हुई और संसाधन भी काफी महंगे पड़े, लेकिन उन्होंने कस्टमर से अतिरिक्त चार्ज नहीं किया. पॉलीथिन मुक्त बनाने की दिशा में जो खर्च का अतिरिक्त भार उन पर पड़ रहा है वो उसे अपने प्रॉफिट से ही मैनेज कर रहे हैं.
खुश नजर आए लोग
राजीव पाठक के शगुन गार्डन शादी घर में आयोजित शादी समारोह में पीने के पानी, चाय व कॉफी के लिए मिट्टी के कुल्हड़ और गिलास का इस्तेमाल किया गया. वहीं खाना खाने के लिए केले के पत्तों का उपयोग किया गया जो लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहा. शादी समारोह में आए आगंतुक इस नवाचार से बेहद प्रभावित होने के साथ-साथ खुश नजर आए. सभी ने आयोजक की प्रशंसा की. आज के समय में इंसान प्लास्टिक और डिस्पोजल का इतना आदी हो चुका है कि इसके बिना गुजारा करना भी मुश्किल है, लेकिन शगुन गार्डन शादी घर में आयोजक ने ऐसा ऑप्शन दिया कि लोगों को कोई असुविधा नहीं हुई, बल्कि हर कोई काफी खुश नजर आया.
लगा हुआ है बैन
बता दें कि, देश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके बावजूद हर शहर में इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है. ऐसे समय में राजीव पाठक की ये पहल सराहनीय है. उन्होंने ना सिर्फ देश में बनाए गए नियम के प्रति जागरूकता दिखाई है, बल्कि उन बेजुबान जानवरों के लिए सोचा है जिनकी मौत फेंके गए प्लास्टिक की वजह से होती है.
क्या कहा शख्स ने
शगुन गार्डन शादी घर के संचालक राजीव पाठक ने बताया कि, समाज में कई तरह की बीमारियां देखी जा रही हैं. खासकर कैंसर. डॉक्टर भी कहते हैं कि प्लास्टिक का उपयोग हमारे जीवन में बढ़ा है. ये कैंसर का बहुत बड़ा कारण है. इसी चिंता को लेकर हमने एक नई सोच डेवलप किया. हम डिस्पोजल में चाय देते हैं या जो भी गर्म चीज जो शरीर के लिए नुकसानदायक है, ऐसी चीजों से बचा जाए. पुराने समय में पत्तल, दोने या स्टील के बर्तन में खाना बनाने और परोसे जाने की परंपरा रही है. इस चीज को हमने शगुन कैटर्स के बैनर तले फिर से शुरू किया है. यह पहला प्रयास है. इसे वृहद रूप से करने की जरूरत है. आगे चलकर इसका परिणाम अच्छा मिलेगा.