Korea  News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोरिया (Korea ) जिले में रेत परिवहन के व्यवसाय में लगे लोगों को इन दिनों भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. राज्य सरकार द्वारा कोरिया जिले की कुछ नदियां रेत निकालने के लिए ठेके पर दे दी गई हैं, जिसके बाद से रेत परिवहनकर्ताओं की परेशानी बढ़ गई है. इसे लेकर कुछ दिनों पहले रेत परिवहनकर्ताओं ने कलेक्टर से मिल कर उन्हें अपनी परेशानी से अवगत कराया था, लेकिन इसके बाद भी अब तक परेशानी दूर नहीं हुई. 


नदियों से रेत निकालने के लिए नीलामी प्रक्रिया होने के बाद ठेकेदारों द्वारा मनमानी वसूली की जाने लगी. सरकारी ठेका होने के बाद मनमानी का आलम यह है कि रेत के लिए कई गुना अधिक राशि देनी पड़ रही है. ये पैसे उपभोक्ताओं के जेब पर तो भारी पड़ ही रहे है, इसके साथ-साथ रेत व्यवसायी भी अनेक तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं. कोरिया जिले में जब से रेत ठेके में हो गया, उसके बाद से परिवहनकर्ताओं की परेशानी बढ़ गई है. परिवहनकर्ता कई दिनों से मनमाना रेत वसूली को लेकर परेशान चल रहे हैं.


जिनसे परेशान उन्हें अभयदान
इसी बीच सोशल मीडिया में यह खबर भी वायरल की जा रही है कि, ठेकेदार अपनी निजी गाड़ी में खनिज अधिकारी को बैठाकर घुमा रहे हैं और ट्रेक्टरों के साथ-साथ अन्य वाहनों पर कार्यवाई करा रहे हैं, जिससे ट्रेक्टर मालिक परेशान हो रहे हैं. कई लोगों की गाड़ी किश्त पर है, उनको सबसे ज्यादा आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर खनिज विभाग के अधिकारी ठेकेदारों की मनमानी पर किसी तरह की कार्यवाई नहीं कर रहे हैं.


तीन गुना से अधिक देना पड़ रहा रेत के लिए
जानकारी के अनुसार जिले की कुछ नदियों से रेत निकालने के लिए ठेका दिए जाने के बाद अब रेत के लिए तीन गुना से ज्यादा राशि खर्च करनी पड़ रही है. पहले जहां 14 सौ रूपये में एक ट्रेक्टर रेत मिल जाती थी. वहीं रेत की नीलामी होने के बाद अब उसके लिए 5 हजार रूपये प्रति ट्रेक्टर की दर से राशि खर्च करनी पड़ रही है. जानकारी के अनुसार निर्धारित रायल्टी होने के बाद भी ठेकेदारों द्वारा मनमानी रकम वसूल की जा रही है, जो रसीद भी दर्ज नहीं की जा रही है.


जिले में ठेकेदारों द्वारा रेत के लिए निर्धारित सरकारी दर से ज्यादातर वसूल करने का असर सीधे तौर पर आम उपभोक्ताओं पड़ रहा है, जिसे लेकर रेत परिवहनकर्ता भी परेशान हैं. कई दिनों से ऐसा ही चल रहा है.  रेत परिवहनकर्ता प्रशासन तक अपनी समस्या बता चुके हैं. इसके बावजूद अब तक प्रशासन कार्यवाई करने की दिशा में मौन है.


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