Koriya: छत्तीसगढ़ के कोरिया में कोसा का बंपर उत्पादन, दूसरे राज्यों में की जा रही सप्लाई, महिलाओं को मिला रोजगार
Production of Cocoon: छत्तीसगढ़ के कोरिया में कोसा का बंपर उत्पादन हुआ है. जिले में कोसा की तीन प्रजातियों के कीड़ा पालने का कार्य किया जाता है. इससे महिलाओं को रोजगार भी मिला है.
Bumper production of cocoon in Koriya: कोसा उत्पादन में देश में प्रमुख स्थान रखने वाले छत्तीसगढ़ राज्य के पारंपरिक मनमोहक रेशमी कपड़ों ने राज्य को विशेष पहचान दिलाई है. छत्तीसगढ़ राज्य में कोसा उत्पादन के मामले में सरगुजा संभाग का कोरिया जिला अग्रणी जिलों में शामिल है. जिले में वर्ष 2021-22 में अब तक 19 लाख 17 हजार 344 कोसा उत्पादित किया गया है. बीते वर्ष यहां 14 लाख 89 हजार 581 नग कोसे का उत्पादन हुआ. पिछली बार की तुलना में इस बार उत्पादन में 4 लाख 27 हजार 763 नग कोसा उत्पादन की बढ़ोतरी हुई है.
जिले में कोसा को लेकर क्या है आंकड़े?
रेशम विभाग के अधिकारी श्याम कुमार के मुताबिक जिले में कोसा की तीन प्रजातियों के कीड़ा पालने का कार्य किया जाता है. जिसमें शहतूत (मलबरी) कृमिपालन, टसर (डाबा) कीटपालन और नैसर्गिक रैली कोसा कीट पालन शामिल हैं. वर्तमान में कोरिया जिले में 15 उत्पादन केंद्रों में 127 हेक्टेयर भूमि पर 3 लाख 74 हजार पौधों में कोसा कीट पालन किया जा रहा है. इस कार्य से पूरे जिले में 15 महिला स्वयं सहायता समूह की 215 महिलाओं को रोजगार मिला है. जिले से कोसा को बेचने के लिए बाहर भी भेजा जाता है. 16 लाख 91 जहर 641 रुपये की कीमत के 13 लाख 36 जहर 829 नग कोसा पश्चिम बंगाल और चाम्पा को विक्रय किया गया है.
महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर
रेशम का उत्पादन कर महिलाएं आत्मनिर्भर हो रहीं हैं. बैकुंठपुर विकासखण्ड के जामपारा कोसा उत्पादन केंद्र में महिला स्वयं सहायता समूह की 70 महिलाओं द्वारा रेशम उत्पादन का कार्य किया जा रहा है. महिलाओं ने अब तक 3 लाख रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया है. समूह की महिला अन्नपूर्णा सिंह ने बताया कि समूह के द्वारा 1 लाख 20 हजार टसर और 20 किलो रेशम धागे का उत्पादन किया गया है. उन्होंने बताया कि रेशम उत्पादन के लिए 25 महिलाओं को 1 सप्ताह के प्रशिक्षण के लिए रेशम विभाग की ओर से जांजगीर चाम्पा जिले भेजा गया. विधिवत प्रशिक्षण उपरांत समूह ने रेशम उत्पादन का कार्य शुरू किया है.
इस तरह होता है रेशम तैयार
अन्नपूर्णा ने बताया कि रेशम उत्पादन के लिए हमें रेशम विभाग की तरफ से 12 रुपए प्रति थैली अंडे मिलते है. जिसमें 200-300 अंडे होते हैं. इन अंडों को अर्जुन और साल वृक्ष के पत्तों पर छोड़ दिया जाता है. जिनमें 2-3 दिनों में रेशम के कीड़े निकल आते हैं. 40-45 दिनों में ये कीड़े कोकून का निर्माण करते हैं. कोकून निर्माण के समय उचित देखभाल की आवश्यकता होती है. जिसमें समय-समय पर दवाइयों का छिड़काव किया जाता है. कोकून से रेशम निकालने के लिए स्पिनिंग मशीन और बुनियार मशीन का उपयोग किया जाता है.
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