Chhattisgarh: बन गई सड़क, शुरू हो गया सफर लेकिन...10 साल बाद भी नहीं मिला 350 किसानों को मुआवजा, जानें- पूरा मामला
Koriya News: छत्तीसगढ़ के कोरिया में सड़क बन जाने के करीब 10 साल बाद भी किसानों के उनके खेतों के मुआवजे का पैसा नहीं मिल पाया है. वादों से परेशान होकर अब किसानों ने प्रदर्शन करने की ठान ली है.
Koriya Farmer Protest: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोरिया (Koriya) में सड़क पर सफर शुरू हुए 10 साल बीत गए, लेकिन सड़क के लिए जिन किसानों ने जमीन दी, उनको अब तक मुआवजा नहीं मिला है. दलअसल कोरिया जिले के जनकपुर कोटाडोल सड़क निर्माण में किसानों ने अपनी खुशी से जमीन दी, लेकिन सड़क बनने के बाद आज तक इन किसानों को अधिकारियों और नेताओं की परिक्रमा करना पड़ रहा है. जिसको लेकर बीते दिन चांग भखार जन सेवा समिति के बैनर तले सैकड़ों किसानों ने चक्का जाम किया. आश्चर्य की बात है कि मध्य प्रदेश को जोड़ने वाली इस प्रमुख सड़क पर चक्काजाम की सूचना के बाद किसानों से बात करने के लिए एसडीएम साहब 12 घंटे बाद पहुंचे.
2013 में पूरी हुई सड़क का अबतक नहीं मिला मुआवजा
मध्य प्रदेश की सरहद से लगे जनकपुर से कोटाडोल तक 32 किलोमीटर सड़क का निर्माण 2012 में शुरू हुआ था और इस सड़क का निर्माण 2013 के अंत पूरा हो गया था. जिसके बाद उस समय के प्रशासनिक और पीडब्लूडी के अधिकारियों ने मुआवजा देने का आश्वासन दिया था. आश्वासन का ये दौर करीब दस साल तक चलता रहा. 10 साल तक किसान कभी पीडब्ल्यूडी तो कभी प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सत्ता और विपक्ष के नेताओं से अपने हक के लिए वंदना करते रहे, लेकिन बात नहीं बनी तो फिर अब चांग भखार जन सेवा समिति के लोगों ने पीड़ित किसानों के साथ मिलकर आंदोलन का रास्ता अपनाया है. गौरतलब है कि 30 किलोमीटर की इस सड़क में 350 किसानों की जमीन सड़क में आ गई थी. जिसके लिए उन्हें 3 करोड़ 82 लाख 87 हजार 303 रुपए का मुआवजा दिया जाना था.
यातायात बाधित होने के बाद भी 12 घंटे बाद पहुंचे एसडीएम
सबसे पहले मुआवजे के हकदार किसानों ने तंग हार कर 23 मार्च 2022 को जनकपुर कोटाडोल मार्ग पर चक्काजाम किया, तो आंदोलन को शांत कराने पहुंचे अधिकारियों ने किसानों को 2 महीने में मुआवजा मिल जाने का आश्वासन देकर आंदोलन समाप्त करा दिया था. जिसके बाद ये मियाद पूरी होने पर कल बुधवार 1 जून को किसानों के सब्र का बांध फिर टूट गया. लिहाजा कल से किसानों ने इसी सड़क पर भगवानपुर चौराहे के पास सड़क पर बैठ कर अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान कर दिया. सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि सड़क पर घंटों यातायात बाधित होने के बाद भी सुबह 6 बजे शुरू चक्काजाम और अनिश्चितकालीन हड़ताल की सुध किसी ने नहीं ली. करीब 10 बजे सुबह तहसीलदार आए और चंद दिनों का आश्वासन देकर वापस चले गए और जब मामला तूल पकड़ने लगा तब 12 घंटे बाद शाम 6 बजे एसडीएम अरुण कुमार सोनकर और थाना प्रभारी दीपेश सैनी मौके पर पहुंचे, लेकिन तमाम आश्वासन के बाद भी किसान फिलहाल मानने को तैयार नहीं हुए.
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किसानों ने मुआवजा न मिलने तक वहीं बैठे रहने का किया ऐलान
आंदोलन करने वाले किसान और चांग भखार सेवा समिति के कुलदीप ने बताया कि 10 साल से सड़क में गए खेतों के मुआवजे के लिए तमाम प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पक्ष-विपक्ष के नेताओं के सामने गुहार लगाई गई, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. इसलिए अब हम लोग मुआवजा नहीं मिलने तक यहीं बैठे रहेंगे, इसके लिए जेल भी जाना पड़े तब भी हम तैयार हैं. इस मामले में भरतपुर जनकपुर एसडीएम अरूण कुमार सोनकर से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने पहले 10 मिनट में जानकारी देने की बात कही. फिर दस मिनट बाद जब उन्हें मोबाइल पर फोन किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया.
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