Pandit Pradeep Mishra News: मध्य प्रदेश के सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा इन दिनों छत्तीसगढ़ के भिलाई में शिवमहापुराण की कथा कर रहे हैं. पंडित प्रदीप मिश्रा शनिवार को पत्रकारों से रूबरू हुए और उन्होंने कई सवालों का जवाब दिया. उनमें से एक सवाल समलैंगिकता को मान्यता देने पर उन्होंने कहा की समलैंगिक शादी का प्रस्ताव जो रखा गया है वह श्रेष्ठ नहीं है. आने वाले समय में सनातन धर्म को चोट पहुंचाने वाला है.


'समलैंगिकता का प्रस्ताव श्रेष्ठ नहीं'
दरअसल, पंडित प्रदीप मिश्रा इन दिनों छत्तीसगढ़ की भिलाई में 25 अप्रैल से 1 मई तक भिलाई के जयंती स्टेडियम मैदान में महा शिव पुराण की कथा कर रहे हैं और शनिवार को पत्रकारों से रूबरू हुए. उन्होंने पत्रकारों के कई सवालों का जवाब दिए. उनमें से एक सवाल था कि समलैंगिकता को मान्यता देना कितना सही है? इस पर पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि समलैंगिक विवाहों का प्रस्ताव रखा गया है वह श्रेष्ठ नहीं है. हमारे आने वाले सनातन धर्म को कहीं ना कहीं या चोट पहुंचाने वाले है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि सनातनी धर्म की मूलतः होती है कि अगर आप एकांत में भी जाए और आपको किसी का भी भय ना हो तो, समझ लीजिए कि सनातन धर्म जागृत हुआ है.



'जरूरत के हिसाब से आरक्षण मिले'
इतना ही नहीं, पंडित प्रदीप मिश्रा से जब यह सवाल पूछा गया कि जातिगत आरक्षण सही है या फिर आर्थिक आरक्षण? इस पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि जिसको जिस चीज की जरूरत है उसको जरूरत के हिसाब से समय पर दे देना चाहिए. मूलतः आज अगर दवाई की जरूरत है और वह व्यक्ति अस्पताल में तड़प कर मर रहा हो और और उस हॉस्पिटल में बाद में दवाई मिले तो उसका क्या मतलब है. आज के हिसाब से जहां किसी को आर्थिक स्थिति की जरूरत है केवल जातिवाद से मतलब नहीं है जरूरत है तो उसको देना चाहिए तो सुख का अनुभव प्राप्त होगा.


'भारत में रहने वाले हिंदू राष्ट्र के अंतर्गत ही रह रहे'
इसके अलावा, पंडित प्रदीप मिश्रा ने हिंदू राष्ट्र की मांग की सवालों पर कहा कि जो बंटवारे के समय चले गए वह चले गए, लेकिन आज जो भारत की भूमि है और जितने भी लोग रह रहे हैं चाहे वह किसी भी धर्म के हो किसी भी वर्ण के हों, हिंदू राष्ट्र के अंतर्गत ही रह रहा है. हिंदू राष्ट्र पहले भी था आज भी है और आगे भी रहेगा. उसके लिए कोई विशेष सील थप्पा लगाना मूल नहीं है.


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